________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी: “बिहार में गेहूँ का क्या भाव है?" बड़े विचित्र प्रश्न थे. ऐसे चार पांच प्रश्न किये, उस व्यक्ति ने जवाब दे दिया. वह इस रहस्य को समझ नहीं पाया. योगी ने कहा - “तुम मेरे पास ऐसी विद्या की जानकारी के लिए आए, आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश पाने के लिए आए. अभी तक तुम्हारे मन से संसार नहीं निकला. तुम मेरे पास आये तो भी अपने संसार को लेकर के आए. संसार से मुक्त बन करके आओ, विचारों से मुक्त बनके, स्वच्छ करके मेरे पास आओ, अन्दर की प्यास लेकर के मेरे पास आओ तो तुम्हें मैं यह विद्या दूं." वापिस कर दिया कि तुम इसके लायक नहीं हो जहां तक तुम संसार को नहीं भलोगे. वहां तक साधना की प्रसन्नता पूर्ण रूप से नहीं आ पाएगी. सारे संसार को हम दिमाग में लेकर चलें. फिर साधना को बदनाम करें कि मैंने ये कार्य किये और आनंद नहीं आया. आनंद कहां से आए, आनंद की पहली शर्त है कि संसार को छोड़ करके आओ, संसार को भूल करके आओ, जहां तक हम संसार को मन से नहीं छोड़ें, मन से भूले नहीं, मन से विस्मत न करें तो आत्मा की स्मृति कहां से जागृत हो. संसार की स्मृति, सुखों की आकांक्षा भूलने का प्रयास करना है. संसार में बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो भूलने जैसी हैं. उसे याद रखना अपनी आत्मा के लिए घातक है. वैर की परिभाषा में वह ज्यादा दुर्भाव पैदा करेगा. उस विचार के अन्दर कभी परिपक्वता नहीं मिलेगी, वे विचार कभी आपको सुन्दर और स्वच्छ नहीं मिलेंगे. ___जो भी हमारी मंगल क्रियाएं हैं परमात्मा का स्मरण है, सामायिक है, प्रतिक्रमण है. उन सारी क्रियाओं के अन्दर आत्म जागृति अगर आ जाए. विचार पूर्वक यदि सम्यक क्रिया बन जाए, तो वह अनुष्ठान अच्छे के लिए आशीर्वाद तुल्य बनता है.. ____ कई ऐसे महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा मिलती है. साधना के क्षेत्र में प्रवेश किया, सब भूल गये, याद नहीं रहा. उपवास करते रहे और परमात्मा के स्मरण में इतने मस्त बन गए. उन्होंने परमात्मा का अनुभव प्राप्त किया, आहार याद ही नहीं रहा. कई व्यक्ति तो साधना में ऐसी मान्यता प्राप्त कर लेते हैं. कि शरीर का भी उनको ख्याल नहीं रहता. रामकृष्ण मां की जब उपासना में बैठते, ऐसी तन्ययता उनमें आ जाती, तादात्म्य भाव उनमें आ जाता, वे सब भूल जाते, मुर्छित अवस्था में आ जाते, सारे संसार की विस्मृति वहां पर पैदा हो जाती. अपूर्व शक्ति है. आत्मा की शक्ति का आनंद है, परन्तु एक सामान्य प्रकार की साधना में भी विशेषता है कि वह ऐसी शक्ति देकर के जाती है जिसके द्वारा व्यक्ति बहुत कुछ अपना कार्य कर लेता है. बहुत कुछ परोपकार का कार्य हो जाता है. साधना ऐसी है. लोग कहते हैं बार-बार परमात्मा का स्मरण किया जाए, नाम लिया जाए. कहते हैं. राम नाम को औषधि रूप माना गया, परमात्मा का नाम, चाहे राम का ले, महावीर का ह जना 393 For Private And Personal Use Only