________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी कल बतलाऊंगा, क्रियाओं में क्या ताकत है-अमोघ अवस्था में सामायिक प्रकार फली भूत बनता है. जिस तरह वरदान बनता है. रूलिंग अनुसार आप कर रहे हैं करिए. करते तो हैं किन्तु वह सामायिक आत्मा की तृप्त करने वाला नहीं बनता. वह अन्तर से चित्त की प्रसन्नता प्रदान करने वाला नहीं बनता. उपवास में जो स्मरण करते हैं वह कितनी बड़ी ताकत रखता है उसे बतलाऊंगा. उपवास में जो स्मरण करते हैं वो कितनी बडी ताकत रखता है तो बतलाऊगा. पूर्व की हुई आराधना कितनी सक्रिय बनती है? किस तरह अपने को लाभ देने वाला बनती है? क्रियाओं का परिचय अन्तरंग मे जाकर करेंगे. आज इतना ही रहने दे. “सर्वमंगलमांगल्यं सर्वकल्याणकारणम् प्रधानं सर्वधर्माणां जैन जयति शासनम्" इस जगत् में सम्पूर्णतया स्वतंत्र तो कोई भी नहीं है. जन्म से पहले नौ माह तक माँ के गर्भ की कैद रहती है, जन्म के बाद भी माँ की नज़रबन्दी में दिन गुज़रते हैं, उसके बाद पिता के अंकुश में जीवन रहता है, विवाह के बाद हवाला हस्तान्तरित होता है, पत्नी का बन्धन आता है, बुढ़ापा पुत्रों के बन्धन में कटता है. बताओ! कहाँ है स्वतंत्रता? सचमुच जगत् का हर-एक मनुष्य कैदी है. - - 390 For Private And Personal Use Only