________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir %3Dगुरुवाणी - AGAN कुम्हार कहता है- यार काहे को बेवकूफी करना है? तू आ गया है तो आधा त ले ले, आधा मैं ले लूंगा. चिल्लाता काहे को है, वह तो अपना माल बटोर कर गया. रात्रि में विचार में पड़ गया, कब जाऊ महाराज का दर्शन करना है. मैंने एक नियम लिया, एक क्रिया के अन्दर प्रमुखता मिल गयी. इसे प्रमाणित करने का इनाम इतनी अपार सम्पत्ति मिली. कमाने की भी जरूरत नहीं. एक क्रिया मे प्राणी प्रमाणित बन जाये. भविष्य में उसमें और विकास करने की भावना आ जाये तो अपना अन्तराय कर्मक्षय होता है, दुखों का नाश करता है, पाप का नाश करता है और पुनः को जन्म देने वाली क्रिया बनती है. संसार की सारी समद्धि उसके चरणों में आकर गिरती है. दरिद्रता और पाप क्रिया का यह अनुष्ठान नाश की क्रिया है. इस क्रिया में आये, प्रसाद का सेवन किया तो भविष्य मे क्रिया में योग्य साधन नहीं मिलेगा. यहां इसीलिए आचार्य भगवान ने निर्देश दिया. "प्रतिपूर्ण क्रियाचेति कुलधर्मानुपालनम्" परम्परा से अपने कुल का जो धर्म है, कुल के अन्दर जो धार्मिक अनुष्ठान, जो मर्यादायें बतलाई है, उनका पालन करना, छोड़ना नहीं. उनमें भी बड़ा रहस्य है. सामायिक में कितनी शक्ति है. चित को शान्ति देने वाली है. जब समझ लेंगे, तब इसका आनन्द आयेगा. कैसी अपूर्व क्रिया है. __जर्मनी के बहुत बड़े वैज्ञानिकों ने इसकी खोज की कि भारतीय मुनियों ने जगत को ध्यान के द्वारा एक ऐसा चित्र दिया, जिससे चित्त के अन्दर शान्ति मिलती है. शरीर में जो आरोग्य मिलता है उसका रहस्य खोज निकाला है. ध्यानावस्था मे शरीर में क्या-क्या परिवर्तन आता है? ये तो सब आत्मा राम भाई की फैक्टरी है. दोनों तरह का उत्पादन होता है, जहर भी उत्पन करता है और अमृत भी उत्पन्न करता है. जर्मनी की जेल में जब इसका प्रयोग किया गया उस प्रयोग के अन्दर एक ऐसे कैदी को जो बडा बदमाश था, कितने ही खून करके आया था. उसे उत्तेजित किया गया. नशा पिलाकर. उत्तेजना मे लाया गया उसका खुन पसीना सब लेकर के उसकी जांच की गयी, उसमे से इंजेक्शन तैयार किया पशुओं पर उसका प्रयोग किया. बन्दरों पर किया, खरगोश पर किया. ऐसे जीवित जानवरों पर प्रयोग किये, वे पशु उसका प्रतिकार नहीं किये. वे सब मर गये. बन्दर कुछ बड़े थे. मूर्छित हो गये, बीमार पड़ गये. उनमें रोग उत्पन्न हो गया. उसकी सारी प्रतिक्रिया देखकर उन्होंने निर्णय किया कि शरीर के अन्दर क्रोधित अवस्था में जहर पैदा होता है. सारे परमाणु दूषित हो जाते हैं. इसका भयंकर परिणाम इन्सान को भोगना पडता है. बीमार पड़ता जाता है. क्षणिक उत्तेजना भविष्य में रोग को उत्पन्न करने वाली बनती है. 388 For Private And Personal Use Only