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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Cyanmandir -गुरुवाणी ___ मानव की आकृति भी आलमारी की तरह है. खड़ा रहेगा सब कुछ दिमाग में भरा है, पूरा वेद भरा है, दुनिया का ज्ञान, शास्त्र विज्ञान, सब कुछ उसकी दिमागी लाइब्रेरी में भरा है परन्तु जहां तक उसका प्रैक्टिकल कुछ नहीं है उसका लाभ क्या? तिजोरी में रुपया रखा है उसका न ब्याज मिलेगा न इन्ट्रेस्ट मिलेगा. डेड मनी है. वह तो जब व्यापार में आयेगा. सक्रिय बनेगा तब लाभ देगा. ___ ज्ञान इसी प्रकार डेड मनी जैसा है, दिमाग में है तो जानकारी में है, परन्तु जब तक आचरण में नहीं लायेंगे, व्यवहारिक दृष्टि से जब तक धर्म क्रिया को प्रयोग में नहीं लायेंगे, बिना प्रयोग में लाये उस पुण्य का नफा आपको क्या होगा? उस जानकारी का क्या मूल्य रहा? कुछ नहीं. ___मफतलाल सेठ रात्रि में सोये थे. घर में कुछ जोखिम पड़ा था, कोई चोर मौका देख करके आया. घर में घुसा, घरवाली जग गई, स्त्रियों का स्वभाव डरपोक होता है उन्होंने सेठ को जाकर कहा-देखो कौन आया है." "अरे कोई नहीं आया. कोई चूहा या बिल्ली होगी. सो जा. वह जानता था कि कोई घुस गया है." "अरे, वह तो अन्दर के कमरा का दरवाजा खोल रहा है. चूहे बिल्ली के हाथ पांव नहीं होते कि दरवाजा खोल लें. वह दरवाजा खोल रहा है." "नहीं, नहीं, तेरे भय से ऐसे विचार आ रहे हैं, चुपचाप से जा कुछ भी नहीं है." "मैं कहती हूं, वहां जागकर देखो तो सही?" "मैं सब जानता हूं मेरी जानकारी में है. दरवाजा खोलकर वह व्यक्ति अन्दर घुस गया, सेठानी से नहीं रहा गया. स्त्रियों में ममत्व होता है, कोई चीज़ चली जाये, कैसे बर्दास्त हो. भय के कारण जा नहीं रही थी. सेठ जग गया." __ मफतलाल ने कहा-मैं सब जानता हूं, वह आदमी आया है." " तिजोरी तोड़ रहा है, अब तो जाओ." "अरे, मैं सब जानता हूं. तू क्या बक बक करती है? प्रतिदिन किस लिये है? कल कम्लेन्ट करेंगे. सब कुछ लिखवायेंगे, पुलिस खोज लेगी, वह पुलिस की ड्यूटी है. माल डाल रहा है, तुम सुनते हो या नहीं?" " मैं सब जानता हं. मेरी जानकारी में है, उसको घर से निकलने तो दो आवाज करूंगा. सारे मोहल्ले वाले आयेंगे. पकड़ लेगें." "अरे, जब मोहल्ले वाले आयेंगे तब आयेंगे, अभी तो लूट रहा है. वह माल लेकर के जा रहा है, जरा पीछे तो जाओ." on 381 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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