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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - -गुरुवाणी - सारी पवित्रता चली जायेगी. ट्रस्टों को यदि कुछ काम कराना हो तो उनको भी पैसा देना पड़ेगा कि हमारा यह बजट पास करो, पैसा आपका, मन्दिर आपका और हकूमत उनकी. इसका परिणाम अनर्थकारी होगा. मैंने कहा-कभी ऐसी बात मत करना, इन कायदों की कोई जरूरत नहीं एक बार यदि सरकार के अधिकार में हमारे तीर्थ आयेंगे तो परिणाम क्या आयेगा?. पहले होटल बनेगा. हमारे भाई खुद ही दीपक लेकर के अपना घर बतलाते हैं कि हमारे यहां आओ. बात कुछ नहीं संवाद से मिट सकता है परन्तु उस विवाद का रूप दिया जा रहा है. बुलाकर के हम उनको अपना घर दिखा रहे हैं कि हमारे यहां आओ. ___आज तो आश्वासन देंगे कि हम तीर्थ को कोई नुकसान नहीं पहुचायेंगे आपकी भावना को ठेस नहीं पहुंचायेंगे. शत्रुन्जय में ऐसा हुआ था, विदेश के कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति भारत सरकार के अतिथि आये. शत्रन्जय उन्हें देखने जाना था. उन्होंने शिकायत की कि हम ऊपर चढे रास्ते में हमें कोई रेस्टोरेन्ट नहीं मिला. पानी की व्यवस्था नहीं, चाय की व्यवस्था नहीं. कोई होटल नहीं. इतने बड़े सुन्दर स्थान पर कुछ तो होना चाहिए. भारत सरकार के अधिकारियों ने गुजरात सरकार को लिखा. गुजरात सरकार ने वहां भावनगर कलैक्टर को लिया, टेन्डर दे दिया जाये, होटल खोल दिया जाये, सारी समस्या फिर मिटी. वहां के मुख्य मन्त्री को समझाया उन्होंने इसका बड़ा सुन्दर जवाब दे दिया और वह हमेशा के लिए बन्द रहा. सरकार को आप बुलाओगे तो वहां होटल निश्चित बनेगा. टूरिस्ट सेन्टर बनेगा. जहां पवित्र स्थान है वह पिकनिक प्वाइंट बनेगा. ऐशो आराम का एक साधन बन जायेगा. हर जगह पर ये चीज़ देखी है यदि आपके प्रसाद से सरकार को आने का मौका मिल गया तो आने वाले वर्षों में तीर्थ की पवित्रता आपको नहीं मिलेगी. हर जगह पर जहां संवाद से काम चलता है, वहां हम विवाद उपस्थित करते हैं. आसानी से काम हो सकता है. आपकी कोई समस्या है तो हम मिटा सकते हैं. बहुत आसानी से मिट सकता है. कोई सांप्रदायिक दुर्भावना इसमें नहीं आयेगी. महावीर जयन्ती का प्रसंग था पिछले बारह वर्ष से हिन्दू हो या मुसलमान यहां से किसी भी तरह का धार्मिक जलूस बन्द. मैने उन लोगों से कहा-महावीर जयन्ती आ रही है जूलुस निकालना है साहब. यहां तो प्रतिवाद है. कोई जुलूस नहीं निकलता. मैंने कहा - क्यों? साहब-मुसलमानों ने मस्जिद के किसी प्रसंग को लेकर एक बहुत बड़ा उपद्रव किया है. कितने ही व्यक्तियों की यहां हत्यायें हो गई लूट मार हो गया. तब से कलेक्टर ने जलस बन्द कर दिया. दोनों में से किसी को कोई प्रोसेशन नहीं निकल सकता. - बना - 378 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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