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गुरुवाणी
में अगर आप शान्ति खोजते हो, दुकान मकान के अन्दर सुख अनुभव करते हो तो ज्ञानियों की दृष्टि में वह क्षण मात्र का है.
उसके बाद दर्द तो पैदा करेगा ही, जैसे ही उसका वियोग हुआ दर्द पैदा होगा. मकान चला गया, किसी कारण से बेचना पडा तो रोएंगे. दुकान चली गयी तो रोएंगे. परिवार में से कोई आदमी चला गया तो भी आंसू निकलेंगे. आया हुआ वैसा गया तो भी बडी वेदना, बड़ा दर्द, प्राप्ति के बाद उसका वियोग आप में दर्द पैदा करके जाता है, उस आनन्द से यहां कोई प्रयोजन नहीं. वहां तो जो स्वयं का आनन्द है, स्वयं की आत्मा से ही प्राप्त करना है, जो आने के बाद फिर कभी जाए नहीं. ऐसे सुख को प्राप्त करना है.
उसका उपाय बतलाया जाता है. आज तक उस क्षणिक सख के अन्दर अपनी प्रसन्नता का हमने अनुभव किया. जहां जहां जो भी साधन मिला. उन साधनों को लेकर के सख का आनन्द लिया, परन्तु ज्ञानियों ने कहा-जो आनन्द भले ही वर्तमान में आपको आनंद दे जाएं लेकिन सोचना भविष्य का है.
आज की प्रसन्नता आपने जो संसार में प्राप्त किया है उसकी जो वर्तमान प्रसन्नता है, वह भविष्य में रुदन बनता है. ऐसा काम हम क्यों करें कि भविष्य में रोना पडे. आंस निकलना पड़े. आज की प्रसन्नता यदि मेरे लिए व्यथा बन जाए, रुदन का कारण बन जाए, दुख दर्द और पीडा का कारण बन जाए, ऐसा सुख मुझे चाहिए ही नहीं.
खणमित्त सुक्खा बहुकाल दुःखा महावीर परमात्मा के शब्दों में देखकर कहा जाए तो ज्ञानियों ने कहा, अन्य ज्ञानियों ने ज्ञान के प्रकाश में देखकर कहा, अपने एकान्त उपकार के लिए कहा-क्षण मात्र का सुख भले ही भौतिक दृष्टि से आपको आनंद दे जाए, परन्तु भविष्य के लिए दुख का कारण बनता है. जो वर्तमान पौलिक वासना से उत्पन होने वाले सुख हैं वही परम्परा में दुख का जन्म देने वाला स्थान है. यह आप समझ करके चलना कि वर्तमान सुख भविष्य में दुख देने वाला बनता है, ऐसा सुख मुझे नहीं चाहिए.
रविवार का दिन हो. मित्रों के साथ आप कहीं पिकनिक पर जा रहे हों, बहुत सुन्दर आपको पौद्गलिक वासना का आनंद आ रहा हो, आपकी वासना को तृप्ति मिल रही हो. मित्रों के साथ बैठ करके वहीं दुनिया भर का आनंद लूट रहे हो, परन्तु जब भोजन का समय हो और आपके अनुकूल सामग्री हो, खीर-पूरी का जीवन हो, सुन्दर से सुन्दर स्वादिष्ट भोजन बना हो, वहां पिकनिक के अन्दर दोपहर के बारह बजे यदि आप भोजन करने अपने मित्रों के साथ बैठे. खीर उतारते समय आपके गले में जरा सा दर्द हो, कठिनाई हो, पानी के द्वारा उतारना पडे, ऐसी स्थिति आ गई हो. कभी आपने अनुभव नहीं किया? आपके मन में शंका होगी क्या बात है? रुकावट किस कारण है? कोई टॉनसिल है, सर्दी है, क्या बात है, गला इतना पकड़ लिया. खाने का आनंद तो गया परन्तु वापिस ।
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