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-गुरुवाणी
जब आप लौट कर आएं, अपने फैमिली डॉक्टर को आप दिखलाएं कि भाई जरा देखो क्या बात है.
मेरे प्रवचन में आप चार महीना रोज नियमित श्रवण करें, एक सौ बीस दिन तक प्रवचन श्रवण करें, तो वैराग्य नहीं आएगा, डॉक्टर का एक शब्द वैराग्य देकर चला जाएगा. देखकर आप को इतना ही कहे कि “सेठ साहब! और तो सब कुछ ठीक है, ऐसी कोई बात नहीं, एक बार बम्बई टाटा होस्पीटल में आप दिखला कर आ जाएं."
एक वाक्य, क्या परिणाम आया. सारा आनन्द चला गया. जल करके राख बन जाएगा. सारी प्रसन्नता नष्ट हो जाएगी, आज तक आपने जो सुख की इमारत बनाई, वह सारी इमारत एक बार में गिरा देगा. जैसे आपकी मौत आपके सामने हो. सारी इमारत खत्म हो जाएगी. सारा आनंद हवा में उड़ जायगा. कोई अस्तित्व ही नहीं रहेगा. विचारों में डूब जाएंगे. नींद लेने पर भी नींद नहीं आएगी.
बम्बई गए और वहीं डाक्टर ने निदान किया और कह दिया तुम्हे कैंसर हैं. क्या जबाव है आपके पास? नोट गिनने में आनन्द आएगा. दुकान में बैठेंगे, ग्राहक देख करके आनन्द आएगा? बहुत सारी खाने की सामग्री पड़ी है. देख करके मुंह में पानी आएगा? एयरकुलर के पास आपको बैठा दिया जाएगा. पसीना बन्द होगा. सारी प्रसन्नता चली जाएगी. दुख दर्द से जीवन भर जाएगा.
यह संसार बड़ा विश्वासघाती है. यह सुख भी आपके मन का भारी भ्रम है. एक मात्र कल्पना है. देअर इज नो रिएल्टी. वहां कोई वास्तविकता है ही नहीं. सब भ्रम में ही आप जी रहे हैं. सुख कब धोखा दे जाए मालूम नहीं, डाक्टर एक शब्द आपको ऐसा दे जाएगा एकदम परिवर्तन.
जवान लड़का, कभी धर्म क्रिया में उसका चित नहीं लगा. लोग कहते हैं-नशा होता है. जवानी का नशा. यह उम्र ही ऐसी होती है. बड़ी खतरनाक उम्र होती है. गुजराती में कहा जाता है, जवानी हिन्दी में भी कहते है. गुजराती कवि ने इसका बहुत सुन्दर अर्थ निकाला. जवानी में रहवानी नहीं, जिसको आप जवानी कहते हैं. वह रहने वाली नहीं है. रहवानी नाथी वो तो जाने वाली है. बड़ी तीव्रगति से जा रही है.
युवा संन्यासी, गांव के किनारे कुएं के पास मंदिर में ध्यानस्थ बैठा था. युवक घोर ब्रह्मचारी पुरूष अठारह से बीस वर्ष की उम्र होगी. ध्यान के अंदर मन की स्थिरता रखकर के बैठा. सुबह का समय था प्रातः काल वहां से पानी भरने के लिए औरतें जाया करतीं. बड़ा प्रसिद्ध कुआं था. सारा गांव वहां से पानी भरता. पानी भरने युवा स्त्रियां वहां आती थी. वह युवा संन्यासी और कुछ नहीं करता. वह जप कर रहा था. और जहां शिव का नाम लेना चाहिए. “ओम नमः शिवायः" राम का नाम लेना चाहिए, परमेश्वर का नाम लेना चाहिए. वहां युवा संन्यासी किसी और मंत्र का जाप कर रहा था.
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