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-गुरुवाणी
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बना लूं. बड़ी विचित्र कर्म की स्थिति है. यह जो धर्म साधना है. तीन दिन का उपवास जो इस समय चल रहा है. कठिनाई तो आएगी, श्रम तो पड़ेगा, भूख को मारना पडेगा क्योंकि आज तक भूख ने ही हम को मारा है. यह भूख को मारने का प्रयास है, जीव जब गर्भ में होता है. सर्वप्रथम उत्पन्न होते ही आहार के परमाणुओं को प्राप्त करना है. आहार प्राप्ति कहा जाता है, उसके बाद आहार के परमाणुओं से कर्म के अन्दर अपने शरीर को उत्पन्न करता है उसके बाद इन्द्रियों को प्राप्त करता है. प्रथम उत्पति व स्थान पर जाते ही आहार उत्पन्न करता है. अनादि अनंत काल से जीव की यही स्थिति है, आहार प्राप्त करना आहार की प्राप्ति में सारे जीवन पर्यन्त गलाम बनके रहना.
आहार की वासना से मुक्त होने के लिए, अनाहारी पद मोक्ष की आराधना के लिए, यह उपवास सर्वोपरि साधना है. अनादि काल से हमारा जो आहार से अटैचमेन्ट है वह टूट जाए. आहार की वासना से मैं मुक्त बन जाऊँ, क्योंकि मैं आत्मा के साथ जुड़ा हुआ हूँ, इसलिए प्रयास करवाया जाता है, अभ्यास करवाया जाता है ताकि अनादि काल के संस्कार से हमारी आत्मा का रक्षण हो.
आत्मा का स्वभाव आहार करना नहीं है, यह तो शरीर का धर्म है. शरीर लेकर के यह बताना है. ज्ञानियों ने कहा - जहां तक वासना है. वहां तक सद्भावना नहीं आ सकती. कहने का आशय, साधना संसार की वासना से मुक्त करने का सर्व श्रेष्ठ उपाय है.
"प्रतिवन क्रियानेति" क्रियाओं के अन्दर, धर्म पुरुषार्थ के अन्दर, व्यक्ति को सतत जागृत रहना चाहिए. सारी धर्म क्रिया पूर्ण वैज्ञानिक क्रिया है. व्यक्ति अगर महीने में कम से कम दो उपवास करता है. ऐसे तो उपवास महान वर्ष तिथियों में होना चाहिए परन्तु यदि दो उपवास भी आप करते हों तो भी आपका शारिरिक, मानसिक, आरोग्य सुरक्षित रखता है. विचार में पवित्रता आती है, विकार को मारने की सबसे बड़ी दवा उपवास.
उपवास का अर्थ होता है, आत्मा के नजदीक उपस्थित रहना. उपवास दो शब्द है, “वास" का अर्थ रहना, “उप” का मतलब है नजदीक, किसके नजदीक उपस्थित रहना. आत्मा के नजदीक उपस्थित रहना, उसका नाम उपवास. ऐसी स्थिति आ जाए, उपवास में ध्यान और साधना के द्वारा व्यक्ति आहार को ही भूल जाए, ध्यान की प्रसन्नता के अन्दर इस पेट के दर्द को ही भूल जाए, वह आनन्द ध्यानावस्था में आना चाहिए, जो आनन्द आज तक आपको संसार की प्राप्ति में मिला, मकान दुकान बनने में मिला, व्यापार में मिला, पैसे में मिला वह सब अस्थायी है. ___ शरीर में कहीं दर्द हो जाए और आपको गोली दी जाए दर्द के उपशमन के लिए शान्ति के लिए, तो वह कोई स्थायी उपचार नहीं है. थोडी अवधि के लिए आपका दर्द घटा देगा. परन्तु बाद में पीड़ा तो होगी. वैसे में अगर आप आनन्द देखते हो, परिवार
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