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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra apn www.kobatirth.org गुरुवाणी अन्दर देखा तो तनी हुई लाश पड़ी है. पानी के अन्दर से करंट उतर गया. लीकेज था लाइन में और वहीं खत्म हो गया. नीचे बैन्ड बज रहा घोड़ी आकर के खडी है. सारे परिवार के लोग इन्तजार कर रहे हैं कि अभी वर राजा आएंगे और निकासी निकलेगी. किसे मालूम था कि इस घर से इसकी लाश निकलेगी. जगत् का यह स्वभाव है. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्ञानी पुरुषों ने इसीलिए चिन्तन प्रस्तुत किया कि जरा अपने सामने इस मौत को देखिए आज नहीं कल निश्चित आने वाली है. इस वारन्ट को कोई रोक नहीं सकता. आपके पैसों से वहां कोई रुकावट नहीं आ सकती. आपके बन्दूक वाले चौकीदार उसे रोक नहीं सकते. जगत् की कोई गोली उसे मार नहीं सकती. आपके मकान का दरवाजा या दीवार उसको आने से रोक नहीं सकती. कोई वकील वहां "स्टे आर्डर" लेकर दे नहीं सकता. कोई डाक्टर आकर उस समय जीवनदान आपको दे नहीं सकता. कैसी लाचारी है. व्यक्ति बड़ा अहंकार रखता है बड़े नशे में रहता है. उनके शब्दों से देखिए दुर्गन्ध ही दुर्गन्ध निकलता है. परमात्मा ने कहा और ज्ञानी पुरुषों ने भी कहा • हे आत्मन्! जरा विचार कर और अपनी भावी उस मृत्यु का दर्शन कर, जो तेरे साथ में है. " नित्यं सन्निहितो मृत्युः कर्तव्यो धर्मसंग्रहः” तेरे माथे पर मृत्यु नाच रही है, आज नहीं तो कल वह दिन तो निश्चित आने वाला है. तू मृत्यु के वर्तुल पर उपस्थित है. तू खड़ा है. आप जहां बैठे हैं जरा गहरी नजर से झांक कर देखिए कि कितने मुर्दे वहां गड़े हुए होंगे कितनी लाशें जली होंगी. संसार का कोई ऐसा स्थान नहीं जहां श्मशान या कब्रिस्तान न बना हो. अनादि अनन्त काल से संसार चला आया है. राजधानी तो आज बनी किसी समय यह श्मशान भी रहा होगा. हजारों मुर्दे यहां जले होंगे, गाड़े गए होंगे, मारे गए होंगे. मुर्दों पर बैठकर आप गर्जना करते हैं. नीचे तो मुर्दे गड़े हुए हैं और संसार गर्जना करता कि मैं कुछ हूँ. उसे नहीं मालूम कि यह कुर्सी चली जाएगी. यह सत्ता चली जाएगी. पॉकेट खाली हो जाएगा. पैसा आता है तो व्यक्ति बड़े गर्व से अकड़कर चलता है. पाकेट गर्म रहता है तो शब्दों में गर्मी आती है. परन्तु उर्दू में कहा जाता है - "दौलत, यह बड़ा दौलतमंद आदमी है. समझ गए दौलत ! मतलब दो लात ! आती है तब कमर पर लात मारती है, छाती बाहर आती है. अकड़ के चलता है और जाते समय छाती पर लात मार कर जाती है. यह लक्ष्मी तो कमर झुका जाती है अपने आप नम्र बना जाती है. यह दौलत नहीं दो लात है." बहुत सावधानी से अपने जीवन का निर्वाह करना है. बड़ी जागृति में जीवन जीना है. मैं अंधकार में न रहूँ, अज्ञान की दशा में भटकने वाला मैं न बनूं. ज्ञान के प्रकाश में चलने वाला बनूं. अहं के नाश का सर्वश्रेष्ठ उपाय और जीवन की साधना का प्रवेश द्वार 8 For Private And Personal Use Only 同
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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