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-गुरुवाणी 3D
हम तो पढ़ लिखकर भी मूर्ख बन जाएं. सन्त कबीर जी ने बहुत सुंदर बात कही है:
पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पण्डित भया न कोय.
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पण्डित होय. यह ढाई अक्षर यदि सीख लिया जाये तो महा पंडित बन सकता है. इस प्रेम को प्राप्त करने का परम साधन परनिन्दा का त्याग है जो कि इस सूत्र में है. ___ मैंने कल ही आपसे कहा - चार बातें बाकी थी. भाषा के गुण जो मैं आपको समझा रहा था, कैसे बोलना और क्या बोलना. स्तोकम्, मधुरम्, निपुणम्, कार्यपतितम् इन चार पर विचार हमने किया चार शेष रहे. वाणी कैसी होनी चाहिये. अल्प हो, मधुर हो, निपुणता युक्त हो, बुद्धिमानी से परिपूर्ण हो. बौद्धिक कुशलता के साथ जब आवश्यकता हो तभी बोलना, बिना जरूरत कभी बोलने का प्रयास नहीं करना. कार्यपतितम्. जब बोलना पड़े तभी बोलना. अकारण कभी बोलने का प्रयास नहीं करना, बौद्धिक कुशलता उसके अन्दर आनी चाहिये. ___एक बहुत बड़े राजा के यहां एक दौलत नाम का नौकर था. पान में चूना ज्यादा
आ गया, पान में चूना ज्यादा लग जाने से राजा की जीभ कट गई, परिणाम स्वरूप उसे नौकरी से बरखास्त कर दिया गया. उसने किसी महाजन के पास पहंचकर उससे कहा - अब मैं बेकार बैठा हूं, दिवाली सामने आ रही है क्या करूं? महाजन ने कहा - कुछ नहीं दिवाली के दिन आना और मैं जो कहूं उस प्रकार कहना. बौद्धिक कुशलता दिखाते हए बोलना. उचित समय पर बोलना. उसका महत्व रहता है.
वह आया बिल्कुल सुबह का समय था और दिवाली का दिन. राजा बडे धार्मिक प्रवृत्ति का था. आवेश आ जाने से उसने ऐसा निर्णय दे दिया था, जिससे दौलत नौकरी से बरखास्त हो गया था. अब महाजन के कहने पर वह सुबह के समय में आया. जैसे ही राजा दरबार में आकर बैठे जोर से उसने राजा का जय-जयकार किया. बोला - हजूर! दौलत हाजिर है. यदि आप कहें तो चला जाये. यदि आप कहें तो आए. दीवाली के दिन राजा यह कैसे कहे, दौलत चला जाये.
ऐसी बौद्धिक कुशलता का परिचय दिया. गर्म लोहे पर चोट की. राजा को कहना पड़ा “दौलत आ जाये”. बंदा तैयार है. समझ गये. खुश कर दिया. अवसर पर ही बोलना चाहिए. यहां क्या बतलाया? भाषा के चौथे गुण में. कार्यपतितम्. जब जरूरत हो, आवश्यकता हो, उसी समय पर बोलना चाहिये. नहीं तो बोला हुआ निष्फल चला जाएगा. दिवाली के सिवाय ऐसा बोलना गलत होता. तब कहा होता तो ये चीज कभी होती?
समय की अनुकूलता और परिस्थिति को देखकर अपने शब्द का उपयोग करना, अपनी भाषा का उपयोग करना कार्यपतितम् कहलाता है.
जन
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