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गुरुवाणी:
लोगों ने कहा अच्छे बेवकूफ बने बराबर पर्युषण का समय आया. मध्य चतुर्मास का समय आया और लोगों ने बड़ा आग्रह किया कि महाराज महा मंगलकारी पर्युषण पर्व आया. कम से कम दो अक्षर तो आप बोलिए बहुत आग्रह था, महाराज ने स्वीकार किया. आए प्रेम का आग्रह था. प्रेम एक ऐसा बन्धन है बिना ताला और चाबी का महाराज आए बैठे. प्रवचन में मंगलाचरण किया और फिर वही प्रश्न उपस्थित किया.
साधुओं का घूम फिर करके यही सब्जैक्ट होगा. त्यागी पुरुषों का दूसरा कोई विषय नहीं होगा, यही सब्जेक्ट इसी वर्तुल में घूमना है. वही पूछा आत्मा परमात्मा और मोक्ष में आपका विश्वास है,
लोग पहले से ही रेडिमेड उत्तर लेकर आए. पहले बेवकूफ बन गए थे. जितने लोग बैठे थे कहा- महाराज बिल्कुल नहीं. अब तो महाराज बोलेंगे.
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महाराज ने कहा जो मुझे समझना था, वहां तो आप पहले ही खोज करके आ गए. वहां कुछ है ही नहीं, तो अब बिना पाये का मकान कहां बनाऊं आधारशिला ही नहीं है. श्रद्धा की भूमिका ही नहीं. ऐसे व्यक्ति जो मेरे से पहले ही अपनी यात्रा में जा करके और मोक्ष देखकर लौट आए. आत्मा की खोज करके आ भी गए कि वहां कुछ है ही नहीं. अब मैं क्या करूंगा बतला करके सर्व मंगल कर दिया महाराज ने
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भूमिका ही नहीं है, जानने की जिज्ञासा ही नहीं है. प्यास ही नहीं है. और जो मैं खोज रहा हूं, यात्री बनकर पहुंचा नहीं हूं पर विश्वासपूर्वक अपनी यात्रा में आगे बढ़ रहा हूं. परन्तु आप तो गए, लौट कर भी आ गए, खोज करके भी आ गए. परमात्मा नहीं. आत्मा की भी खोज कर ली कि आत्मा भी कुछ नहीं है परमात्मा भी नहीं मोक्ष भी नहीं. तो मैं बतलाकर क्यों अपना समय नष्ट करूं. बकवास करूं. इससे तो अपनी साधना करूं.
लोगों ने कहा आज भी ठीक बन गए. बात बिल्कुल सही थी. चार महीने पूरे हो गए. महाराज की विदाई का समय आया कार्तिक सुदी पूर्णिमा प्रस्थान करने लग गए. लोगों ने कहा महाराज आज तो दो शब्द बोल जाइये.
बहुत आग्रह देखा महाराज ने कहा- जाते-जाते मंगल आशीर्वाद देकर के जाऊं, लोग पहले से ही बड़े तैयार थे जैसे ही महाराज ने आकर मंगलाचरण किया.
फिर वही प्रश्न आत्मा, परमात्मा, मोक्ष में आपका विश्वास है ? तो आगे बढूं. आधे लोगों ने कहा बिल्कुल नहीं. आधे ने कहा साहब! पूरा विश्वास है. देखा ! महाराज दुविधा में आगये. :
महाराज ने कहा
मेरा काम हो गया आप जानते हैं आधे ने कहा विश्वास है. वह इन्हें नहीं जानने वाले आधे को आप समझा दो मुझे बीच में क्यों लाए, व्याख्यान पूरा. सर्व मंगल करदीया.
समझ गए, मौन के अन्दर बड़ी गहराई होती है. बहुत बड़ा इसमें साइंस छिपा है.
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