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%3=गुरुवाणी
मुसलमानों ने कहा नही नहीं यह तो हमारा स्थान है. हिन्दुओं ने कहा-नहीं-नहीं यह तो हमारे हनुमान जी का स्थान है. शाम तक गांव में तनाव हो गया. सांप्रदायिक दुर्भावना जागृत हो गई. मफतलाल तो आराम से घर पर सो गए.
गांव का नवाब बड़ा समझदार था. उसने कहा भाई धर्म के नाम पर क्लेश क्यों करते हो. हमारे लिए हिन्दू-मुसलमान समान हैं. ये दोनों आंखें हैं. तुम इस प्रकार लड़ के हमारी शान्ति क्यों भंग करते हो. इससे अच्छा है दो हिन्दुओं में से और दो मस्लिम में से और पांचवा मैं, पांचों मिलकर के निर्णय करें और उस जगह को देखें और उसकी तफसीस करें खदाई करें अगर जरा भी हिन्दओं का अवशेष मिला. हिन्दओं को दे देंगे. अगर कोई मुस्लिम अवशेष मिलता है तो मुसलमानों को दे दिया जाएगा. क्या इसमें कोई आपत्ति है ? नगर की प्रजा ने स्वीकार कर लिया. पंच गए. नवाबजादा भी गए. पहले तो जाकर अदब किया. नवाब ने भी ढोक दिया ताकि दोनों प्रजा को शान्ति मिले.
नौकर को बुलाकर फल का ढेर हटाया. नीचे देखा तो वह विष्ठा थी. नवाब ने कहा कोई गांव में बेवकूफ नहीं मिला, क्या मैं ही मिला?
सारे जितने व्यक्ति थे वहां से दूसरे सब थूककर के गए. पूछो कि ये सब तमाशा किसने किया. वे कहे फलां मियां जाने, दूसरे कहें फला मियां जाने. जाकर के सारी मफतलाल को मालूम पड़ी. कोतवाल ने कहा-मेहरबानी करके मेरा नाम मत लेना. मफतलाल ने कहा आज से मेरी दुश्मनी मत रखना. कोतवाल हमेशा उसका गुलाम बन गया. अपना काम हो गया. यह अन्ध श्रद्धा है. इसीलिए मैंने कहा - यह माथा परमेश्वर के सिवाय और कहीं झुकाना नहीं. यह आप संकल्प कर लेना कि आज के बाद गलत याचना नहीं करूगां. कभी भिखारी बन करके परमात्मा के द्वार पर नहीं जाऊंगा. प्रारब्ध के सिवाय किसी देवी-देवता के पास याचना नहीं करूंगा.
गरुके पास परमात्मा के पास सिवाय आशीर्वाद के और कोई कामना मैं नहीं रखंगा. देखिए आपका प्रारब्ध सक्रिय बनता है या नहीं. जिस दिन आप मांगना बन्द कर दोगे उस दिन से स्वयं कुदरत आपको देगी. यह अनुभव की चीज़ है, आप करके देखिए. भले ही आप गुरुजनों के पास जाएं, देवी देवताओं के पास जाएं, मेरा किसी देवी-देवता से विरोध नहीं. बस आप मांगना बन्द कर दें क्योंकि यह चीज प्रारब्ध से मिलती है.
इच्छा और तृष्णा का उसके द्वारा पोषण होता है. आध्यात्मिक स्थिति में हम पीछे हटते हैं. सारी साधना फिर याचना में बदल जाती है. ऐसी साधना नहीं करनी है. अपने मन्दिर को व्यापार नहीं बनाना है. अपनी धर्म साधना को बिजनेस नहीं बनाना है कि पैसे के लिए अपनी पवित्रता को गंवा दें. प्राण चला जाए पवित्रता नहीं जानी चाहिए.
"सर्वमंगलमांगल्यं सर्वकल्याणकारणम् प्रधानं सर्वधर्माणां जैन जयति शासनम्"
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