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- गुरुवाणी
ACAN
एक दिन मफतलाल को जरा डिसेन्ट्री भी हो गई. पर पूजा करने का पक्का नियम, बड़े होशियार, बड़े बुद्धिशाली. गांव में पंचायत उनके बिना हो ही नहीं सकती. नवाबी राज्य चलता था. गांव में बड़े प्रतिष्ठित थे. वे बहुत दूर बगीचे में गए. जंगल से निपट कर शुद्ध होकर टोकरी भर करके फूल लाने गए. गुलाब का फूल, इतना सारा टोकरी भरा हुआ लिए थे. किसी कारण गांव के फौजदार, कोतवाल समय के ताक में था. कोतवाल पठान से मफतलाल के साथ कुछ बातचीत बोलचाल हो गई. वह जरा अकड़बाज था.
मौके की ताक में था. कहीं मौका मिले और सेठ को चमत्कार बतलाऊं.
मफतलाल बड़ा सावधान था कि गांव का कोतवाल मेरा शत्रु है और शायद कुछ गड़बड़ी करे. डिसेन्ट्री के कारण लैट्रीन जाने की शंका हुई मगर दूर दरवाजे के पास ही बेचारा बैठ गया. यह चीज तो रोकी नहीं जा सकती, यह तो प्रकृति की पुकार है. कोतवाल सामने से घोड़े पर आ रहा था. वह डर गये कि कोतवाल मुझे अपमानित करेगा कि सेठ शर्म नहीं आती. गांव के दरवाजे के पास जंगल गया. उठाओ इसको. अपमानित करेगा.
मफतलाल सेठ कम तो थे नहीं. बात समझ गये कि घोड़े पर आ रहा है वह यमदूत. यह उसको निमित्त मिल जायेगा. वह बड़े ही होशियार थे. गांव के दरवाजे के पास जहां जंगल गये थे, वह फूल लेकर आये और उस पर डाल दिया. विष्टा को पूरा फूल से ढंक दिया.
पठान ने देखा-अरे मफतलाल! यह क्या कर रहा है? हुजूर! क्या बतलाऊं, बड़ा सुन्दर चमत्कार देखा. यहां कोई अभूतपूर्व आत्मा है. अरे इतनी सुन्दर लाइट, क्या शक्ति, इसके अन्दर दिव्यशक्ति प्रवेश करते हुए मैंने देखा. अभी मेरे पास और क्या था? भगवान को फूल ले जा रहा था, उसे मैंने यही चढ़ा दिया. तीन बार दंडवत भी किया वहीं पर मफतलाल ने.
पठान के मन में विश्वास पैदा हो गया-कुछ चमत्कार है. नहीं तो यह मफतलाल इतना सारा फूल यहां कैसे चढ़ायेगा.
गांव में बात फैली. पूरा हिन्दू समाज आया चर्चा हुई कि हनुमान प्रकट हुए है. वहां लाइन लग गई फूलों का ढेर लग गया. जो आए वहां प्रसाद चढ़ा दिया. ढेर लग गया. मफतलाल तमाशा देख रहा था.
संयोग ऐसा, मुसलमानों को मालूम पड़ा. वहां कोई चिन्ह तो था नहीं, न हिन्दू का मन्दिर, न मुसलमानों की दरगाह. गांव में नवाबी राज्य तो मौलवियों ने देखा. उन्होंने कहा-हमारे एक जमालखां पीर वहीं रहते थे. उनकी दरगाह थी. किसी कारण नष्ट हो गई. यह पीर का चमत्कार है. आकर बैठ गए, नीला कपड़ा बिछाया. लोगों की दुकान शुरू, जो आये वो ढोक देकर चला जाता. मुसलमान भी नमाज पढ़कर जाते.
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