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-गरुवाणी- पाणा
आप व्यापार करते हैं और चौपड़ा (बही) आपके पास न हो तो व्यापार क्या मूल्य रखता है.
जिस तरह से हर क्षेत्र के अन्दर साधन आवश्यक हैं, उसी प्रकार धार्मिक क्षेत्र में भी आचार एवं क्रियाओं के द्वारा व्यक्ति अपने परम साध्य को प्राप्त करता है. ये सब अलग-अलग प्रकार के साधन बतलाए गए. तप, सेवा, क्रियाएं, परोपकार और शिष्टाचार के पालन के द्वारा व्यक्ति अपनी प्रामाणिकता से और सत्य के अवलम्बन से उस परमात्मा को प्राप्त करने में सफल हो जाता है. फिर सारी धार्मिक क्रिया जीवन में सक्रिय बनती है. एक्टिव बनती है. वह विचार या जानकारी फिर मूर्च्छित नहीं रहती, वह प्रैक्टिकल (व्यावहारिक) रूप लेती है, प्रयोगात्मक दृष्टि से उस कार्य के अन्दर फिर सफलता मिलती है.
प्रत्येक साधन का परिचय अलग-अलग आचार के द्वारा दिया गया ताकि जीवन के अन्दर इस प्रकार परोपकार की रुचि आ जाए. इन विचारों में अंकुर आ जाये, जो कल मोक्ष का फल देने वाला बने. करुणा का अंकुर अपने हृदय के अन्दर प्रस्फुटित होना चाहिए. सुप्रवचन के द्वारा बीज डाला जाता है. यह आत्मा की खेती है. साधु हर रोज़ प्रयास करता है. अमृत प्रवचन के द्वारा सीच कर वह आपके हृदय को कोमल बनाता है, वह साधु प्रतिदिन अन्दर की घास उखाड़ करके और आपके अन्तर्मन को स्वच्छ और सुन्दर बनाने का प्रयास करता है. सींचन से परमात्म तत्त्व के द्वारा, हृदय के अन्दर उस कोमलता को, प्रदान करने का वह पुरुषार्थ करता है और फिर इसमें मोक्ष का बीज-वपन किया जाता है. समय आने पर क्रियाओं और आचरण के द्वारा, वह व्यक्ति उसे अंकुरित करता है और एक बार यदि यह खेती हो जाए, तो उस मोक्ष का फल निश्चित ही मिलता है.
आज किया गया प्रयत्न कल पूर्णता जरूर प्रदान करेगा. बशर्ते कि प्रयत्न सतत हो. बीमार होने की स्थिति में यदि डाक्टर को रोग परीक्षण के पश्चात् बीमारी का पता लग जाए तो वह उचित दवा देगा जिसे निर्दिष्ट परहेज के साथ लेनी चाहिए. ऐसा करने में यदि कोई प्रमाद करेगा तो परिणाम ठीक नहीं होगा.
जब हमें इस शरीर की इतनी चिन्ता है कि जरा भी उसमें प्रमाद न करें; तो आत्मा के लिए कभी ऐसा सोचा कि साध पुरूष जो मार्गदर्शन देते हैं उसके अनुकूल आत्मा को विपरीत कृत्यों से दूर रखें, जिन्हें करने का परिणाम, आत्मा के लिए खतरनाक हो सकता है, दुर्गति का कारण बन सकता है. धार्मिक औषधि लेने पर ही उसका फायदा होगा. उसे घर पर आप शो केस में संजोकर रखें तो कोई लाभ नहीं होगा या उसका दर्शन मात्र लें तो भी वो कोई फायदा नहीं देगा. वह तो दवा लेनी ही पड़ेगी. करना ही पड़ेगा.
यहां जो यह दवा बतलाई यदि इसे पथ्यपूर्वक लिया जाए, तो ज्ञानियों ने कहा है कि यह निश्चित ही आत्मा को आरोग्य देने वाली है. इसमें कोई संशय नहीं. पर व्यक्ति
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