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गुरुवाणी
क्रिया और आचार में श्रद्धा का महत्व
परम कृपालु आचार्य श्रीहरिभद्रसूरि जी ने मानव जीवन के विकास, आत्मा की पवित्रता तथा सुन्दर भविष्य के निर्माण के लिए, इन सूत्रों के द्वारा जीवन का सुन्दर मार्गदर्शन किया है. किस प्रकार से अपनी आत्मा से परिचय किया जाये उसकी पूरी भूमिका इन कर्त्तव्यों और शिष्टाचार पालन के द्वारा उन्होंने बतलाई है. दीवार यदि साफ और एकदम स्वच्छ हो और उस पर चित्र बनाएं, तो चित्र की सुन्दरता बड़ी अपूर्व होगी. गन्दी दीवार पर कभी चित्र अंकित नहीं किया जाता.
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मन यदि स्वच्छ और पवित्र होगा, और उसमें धर्म का आकार दिया जाये तो वह आकार अपने आचार के द्वारा सहज ही होगा. उस धार्मिकता में अपूर्व सुन्दरता मिलेगी. परन्तु मन की दीवार यदि गन्दी हो, मन यदि अस्वच्छ हो और कर्म की कालिमा उसमें लगी हो फिर आप धार्मिक विचारों का आकार देने का प्रयास करें तो उस चित्र में सुन्दरता नहीं आयेगी.
इसलिये उस महान आचार्य ने पूर्व भूमिका में ह्रदय को शुद्ध और स्वच्छ करने के लिये शिष्टाचार, सुन्दर आचार के द्वारा प्रथम परिचय दिया. गत दो तीन प्रवचनों में इस पर विचार चल रहा है कोई भी कार्य बिना साधना के सफल नहीं होता, धर्म क्रिया हेतु आत्मा को पाने के लिए विभिन्न प्रकार के बहुत से साधन बतलाए गए हैं.
आपको कहीं भी यात्रा में जाना हो, वाहन का साधन आवश्यक है. गृहस्थों के लिए अनिवार्य है, नदी पार उतरना है तो नाव चाहिए. आपके पास चाहे जैसी भी जानकारी हो परन्तु कार्य की सफलता के लिए साधन आवश्यक माना गया है.
दर्जी कितना भी होशियार हो, परन्तु यदि सुई और धागा उसके पास नहीं तो वह क्या करेगा ? विचार को आकार कैसे देगा. बिना साधन के उस साध्य को कैसे प्राप्त करेगा, वह लक्ष्य कभी प्राप्त नहीं कर सकता.
चित्रकार कितना भी सुन्दर जानकार हो, महान कलाकार हो, परन्तु उसके पास यदि रंग या पीछी न हो, ब्रुश न हो, तो वह अपने विचारों को किस प्रकार आकार दे पाएगा. जब तक वह उस विज्ञता को व्यावहारिक रूप से कोई आकार नहीं देता, वह महत्वहीन है.
तात्पर्य यह है कि बिना साधन के व्यक्ति कभी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता.
इसी तरह चाहे डाक्टर कितना भी जानकार हो, परन्तु उसके पास यदि साधन में सर्जिकल इन्स्ट्रूमेंट्स न हों, स्टैथस्कोप न हो तथा अन्य प्रकार के साधन न हों, तो वह आपका क्या उपचार करेगा किस प्रकार से वह रोग का परीक्षण करेगा. अस्तु, प्रत्येक क्षेत्र में साधन आवश्यक है.
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