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गुरुवाणी
की आदत है कि वह पाप अभी और पुण्य बाद में करना चाहता है यानी पाप कैश में और धर्म उधार में वह कहता कि महाराज अभी तो जवान है फिर कभी देखेंगे, वृद्धावस्था आएगी, तब माला गिनेंगे.
पूर्व का बासी पुण्य लेकर के आया और कदाचित् वर्तमान में उसका पुण्य प्रकट हो गया और कार्य में सफलता मिल गयी, पाकेट में गर्मी आ गयी फिर उसे परमात्मा को याद करने की भी फुरसत ही नहीं. धर्म कल करेंगे.
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सेठ मफतलाल जब बीमार पड़े. उन्हें टायफाइड हुआ. और बड़े डाक्टर आये. पत्नी अच्छी श्राविका थी. रोज़ कहा करती कि मन्दिर तो जाओ. सामायिक तो करो. प्रभु का नाम तो लो कुछ दान-पुण्य करो इतना पैसा मिला है, अरे साठ वर्ष बाद यह सब देखने की बाते हैं, अभी तो मैं पैंतीस साल का ही हुआ हूं. अभी तो बहुत लम्बा जीवन है अभी धर्म करने का समय नहीं है. ये मौज मजा करने के दिन हैं, यदि भगवान ने दिया है. तो उसका उपभोग करना है.
तो फिर भगवान ने दिया ही क्यों ? हर समय बात उड़ा देता. पत्नी मौके की ताक में थी. संयोग से वह एक दिन बीमार हुए. डाक्टर आकर के कहता है कि इस ताप को नियन्त्रित करने के लिए तुरन्त आपको इन्जेक्शन लेना होगा और ये कैपसूल भी लिख देता दिन में तीन टाइम लेने होंगे. डाक्टर तो सलाह देकर चला गया.
मफतलाल ने बिस्तर पर पड़े पड़े एक-दो बार अपनी पत्नी को बुलाया. वह आई नहीं. फिर ज़रा आवेश में आकर के कहा सुनती हो कि नहीं ? वह आई. क्या बात है ? तू समझती नहीं ? डाक्टर ने कहा है कि इन्जेक्शन लेना पड़ेगा. बहुत ज्यादा बुखार है. मेरा तो दिमाग फटा जा रहा है, कहीं हैम्ब्रेज हो गया तो उसका परिणाम तुझे ही पहले भोगना पड़ेगा. मैं चला जाऊंगा.
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श्राविका ने कहा मुझे इसकी कोई चिन्ता नहीं जो भगवान ने चाहा वही होगा. परन्तु तुम हर रोज़ कहा करते थे कि धर्म तो मुझे साठ वर्ष के बाद करना है. और आज तुम मरने की बात करते हो. साठ-सत्तर वर्ष की उम्र होगी तो देखेंगे. फिर माला गिनेंगे. जो तू कहेगी, उस तीर्थयात्रा में जायेंगे. तो फिर आज इतनी क्या जल्दी है ? जब धर्म करने की जल्दी नहीं तो दवा के लिए इतनी जल्दबाज़ी क्यों ?
उसने कहा जो भूल हो गई, तू माफ कर, मैं तो मरा जा रहा हूं. मुझे तो मेरी मौत नज़र आ रही है. इस बुखार में मेरा सारा शरीर टूटा जा रहा है. पत्नी ने सीधे कहा
तो सच बोलो कभी ऐसे झूठ तो नहीं बोलोगे ? ऐसी गलती तो नहीं करोगे ?
शरीर रोग ग्रस्त हो गया तो बीमारी के लिए दवा आज ही चाहिए. परन्तु यदि आत्मा में बीमारी आ जाए या गड़बड़ी आ जाए, दुर्विचार का आगमन हो जाये और आत्मा घायल हो जाये या कर्म से पीड़ित हो जाए तो कहेंगे कि धर्म मुझे कल करना है. पाप
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