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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org आर्य सुधर्मास्वामी श्रुतागार : ज्ञानमंदिर में भूतल पर विद्वानों आदि हेतु कक्ष / उपकक्ष सहित पाठकों के लिए अध्ययन की सुन्दर व्यवस्था युक्त आर्य सुधर्मास्वामी श्रुतागार नामक ग्रंथालय है। यहाँ कुल मिला कर लगभग 78,000 मुद्रित प्रतें एवं पुस्तकें हैं । ग्रंथालय में भारतीय संस्कृति, सभ्यता, धर्म एवं दर्शन के अतिरिक्त विशेष रूप में जैन धर्म से सम्बन्धित सामग्री सर्वाधिक है। इस सामग्री को इतना अधिक समृद्ध किया जा रहा है कि जैनधर्म से सम्बन्धित कोई भी जिज्ञासु यहाँ आकर अपनी जिज्ञासा पूर्ण कर सके । श्री राजारामंदिर वैसा घर साजिदा सत्र जी ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सम्राट सम्प्रति संग्रहालय : सम्राट सम्प्रति संग्रहालय ज्ञानमंदिर में प्रथम तल पर अवस्थित है । पुरातत्त्व - अध्येताओं और जिज्ञासु दर्शकों के लिए प्राचीन भारतीय शिल्प परम्परा के गौरवमय दर्शन इस स्थल पर होते हैं। पाषाण व धातु मूर्तियों, ताड़पत्र व कागज पर चित्रित पाण्डुलिपियों, लघुचित्र, पट्ट, विज्ञप्तिपत्र, काष्ठ तथा हस्तिदंत से बनी प्राचीन एवं अर्वाचीन अद्वितीय कलाकृतियों तथा अन्यान्य पुरावस्तुओं को बहुत आकर्षक एवं प्रभावोत्पादक ढंग से प्रदर्शित करने के साथ ही कहीं भी उनकी धार्मिक एवं सांस्कृतिक अवहेलना न हो, इसका पूरा ध्यान रखा गया है। ब्रोमायभवने वजेचनयात्रा गदानत्रमवदुगाकावा संग्रहालय को आठ खंडों में विभक्त किया है. 1. वस्तुपाल तेजपाल खंड, 2. ठक्कर फेरू खंड, 3. परमार्हत् कुमारपाल खंड, 4. जगत शेठ खंड, 5. श्रेष्ठि धरणाशाह खंड, 6. पेथडशा मन्त्री खंड, 7. विमल मंत्री खंड 8. दशार्णभद्र मध्यस्थ खंड. प्रथम एवं द्वितीय खंड में पाषाण एवं धातु की प्राचीन कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है, जिनमें तीर्थंकर की प्रतिमाएँ अपनी अलौकिक एवं अभूतपूर्व मुद्रा के साथ प्रदर्शित है. तृतीय एवं चतुर्थ खंड में श्रुत संबंधित जानकारियाँ दी गई है. ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी से इ. 15वीं शताब्दी तक ब्राह्मी लिपि का विकास, आलेखन माध्यम, आलेखन तकनीक, एवं आलेखन संरक्षण के नमूने प्रदर्शित किये गये हैं. इनके अलावा आगम शास्त्र एवं अलग-अलग विषयों से संबंधित हस्तलिखित ग्रंथ भी प्रदर्शित किये गये हैं । For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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