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आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर
श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र की यह आत्मा है। यह स्वयं अपने आप में एक विशाल संस्था है। आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर के अन्तर्गत निम्नलिखित विभाग कार्यरत हैं: देवदिगणि क्षमाश्रमण हस्तप्रत भांडागार : देवदिगणि क्षमाश्रमण हस्तप्रत भाडागार में लगभग 2,25,000 से अधिक प्राचीन दुर्लभ हस्तलिखित शास्त्र ग्रंथ हैं। इनमें आगम,न्याय, दर्शन, योग, व्याकरण, इतिहास आदि विषयों से सम्बन्धित अदभूत ज्ञान का सागर है। इस भांडागार में 1.000 से अधिक प्राचीन व अमल्य ताड़पत्रीय ग्रंथ विशिष्ट रूप से संगृहित है। इतना विशाल संग्रह किसी भी संग्रहालय के लिये गौरव का विषय हो सकता है। आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी ने अपनी भारत-भर की पदयात्रा के दौरान छोटे-छोटे गाँवों में असुरक्षित, उपेक्षित एवं नष्ट हो रही भारतीय संस्कृति की यह अनूठी निधि लोगों को प्रेरित कर संग्रह करवाई है। यहाँ इन बहुमूल्य कृतियों को विशेष रूप से बने ऋतुजन्य दोषों से मुक्त कक्षों में पारम्परिक ढंग से विशिष्ट प्रकार की काष्ठ-मंजूषाओं में संरक्षित किया जा रहा है। क्षतिग्रस्त प्रतियों को रासायनिक प्रक्रिया से सुरक्षित करने की बृहद योजना है। अनेक हस्तलिखित ग्रंथ सुवर्ण व रजत से आलेखित, तथा सैंकड़ों सचित्र हैं।
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