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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पांचवे और छठे खंड में गुजरात की जैन चित्र शैली के इस्वी. 11वीं शताब्दी से 19वीं शताब्दी के चित्र, सचित्र हस्तप्रतें, सचित्र गुटके, आचार्य भगवंतों को चातुर्मास के लिए आगमन हेतु विज्ञप्तिपत्र एवं प्राचीन यंत्र चित्रादि वस्त्र पर प्रदर्शित किये गये हैं। सातवें खंड में चंदन एवं हाथी दांत की सुंदर कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं जो दर्शकों का मन मोह लेती है। इनके अलावा परंपरागत कई पुरावस्तुओं का प्रदर्शन भी किया गया है। सम्राट् सम्प्रति संग्रहालय अपने विकास के पथ पर अग्रसर है। सभी कलाकृतियों को एक ही स्थान पर सुसंयोजित करना, संरक्षण करना, समय-समय पर विशिष्ट प्रदर्शन की योजना बनाना, संशोधन करना, कीटादि से बिगड़ी हुई कलाकृतियों को पुनः संस्कारित करना और जैन संस्कृति की प्राचीनता एवं भव्यता के प्रमाण पत्र समाज तक पहुंचाना इस संग्रहालय का ध्येय है। आर्यरक्षितसूरि शोधसागर : ज्ञानमंदिर में संगृहित हस्तलिखित ग्रंथों तथा मुद्रित पुस्तकों की व्यवस्था करना एक बहुत ही जटिल कार्य है लेकिन ग्रंथ सरलता से उपलब्ध हो सके इसके लिये बहुउद्देशीय कम्प्यूटर केन्द्र ज्ञान मंदिर के द्वितीय तल पर कार्यरत है। ग्रंथालय सेवा में कम्प्यूटर का महत्त्व वर्तमान समय में अत्यंत आवश्यक हो गया है। हस्तलिखित व मुदित ग्रंथों, उनमें समाविष्ट कृतियों तथा पत्र पत्रिकाओं का विशद् सूची-पत्र एवं विस्तृत सूचनाएँ कम्प्यूटराइज की जा रही हैं। महावीर-दर्शन (कलादीर्घा) : भगवान महावीर के प्रेरणादायक प्रसंगों को प्रदर्शित करने के लिए इस कलादीर्घा का निर्माण प्रगति पर है। यहां भगवान महावीर व उनकी अविच्छिन्न परम्परा में हुए तेजस्वीपुज्ज श्रमण व श्रावकों के प्रेरणादायक प्रसंगो को ध्वनि तथा प्रकाश हलन चलन से युक्त प्रतिमाओं द्वारा सजीव करने का प्रयास किया जाएगा। For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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