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-गुरुवाणी
जीवन का आधार - शिष्टाचार
महान् आचार्य श्रीमद् हरिभद्रसूरि जी महाराज ने 'धर्मबिन्दु' के द्वारा जीवन व्यवहार का सुन्दर परिचय दिया. उन्होंने मानव जीवन के आवश्यक कर्त्तव्यों के लिए उनके व्यवहार का सुन्दर स्वरूप अपने चिन्तन द्वारा प्रस्तुत कियाः
शिष्टाचरितप्रशंसनमिति सूत्र के द्वारा यह प्रतीत हो रहा है कि हर व्यक्ति को अपने शिष्टाचार का उचित पालन करना चाहिए. भले ही अपनी शक्ति अनुसार अत्यधिक करे, यदि परमात्मा की कृपा से वह साधन सम्पन्न हो तो उसका सुन्दर से सुन्दर उपयोग करें. __ व्यक्ति प्रमाद में सारा जीवन व्यतीत कर देता है और अपने कार्य से विमुख हो जाता है. जहां कर्त्तव्यनिष्ठा होगी, कार्य करने की जहां सुनिष्ठा होगी, वह कार्य निश्चित सफल होता है. एक बार निर्णय कर लेना है कि यह कार्य मुझे करना है और यदि इस प्रकार दृढ़ संकल्प किया जाये तो आधा कार्य तो वहीं पूरा हो जाता है. मात्र आधा करना ही अवशेष रहा, केवल संकल्प चाहिए.
निर्धन से निर्धन व्यक्ति भी शारीरिक दृष्टि से परोपकार करने में सक्षम होता हैं. परोपकार में मात्र मन की जरूरत है, पैसे की ज़रूरत नहीं, और मन के अन्दर यदि परोपकार का भाव जन्म लेता है तो शरीर से वह स्वयं क्रियान्वित रूप में प्रकट होगा, आपके कार्य में भावना का परिचय मिल जायेगा कि व्यक्ति बड़ा सुन्दर, परोपकारी है. इस प्रकार जीवन को परोपकार का मन्दिर बनाना है... ___ असुरों का जब भयंकर उपद्रव हुआ. तो देवताओं ने मिल करके ब्रह्मा जी से प्रार्थना की. ब्रह्मा जी ने कहा कि इन असुरों पर विजय प्राप्त करने के लिए मेरे पास कोई उपाय नहीं, कोई साधन नहीं; परन्तु उन्होंने यह सुझाव दिया कि महान् तपस्वी दधीचि ऋषि तप कर रहे हैं. तुम वहां जाओ और उनसे प्रार्थमा. करो तो असुरों के उपद्रव से तुमको शान्ति मिल जाएगी. देवताओं ने दधीचि ऋषि के सम्मुख जाकर प्रार्थना की कि भगवन्! प्रतिदिन यह उपद्रव होता है. राक्षसों के उपद्रव से हमारा जीवन अस्त-व्यस्त और अशान्त हो चुका है. कोई उपाय बताइए. ऐसा कोई आशीर्वाद दीजिए जिससे असुरों से शान्ति मिल जाए.
दधीचि ऋषि ने अपने ज्ञान के द्वारा योग दृष्टि से देखा, उन्होंने कहा कि असुरों के उपद्रव को शान्त करने का मात्र एक ही उपाय है. और कोई दूसरा उपाय नहीं है. मैं अपना जीवन अर्पण कर दूं, देह विसर्जन के उपरान्त मेरी अवशिष्ट अस्थियों से आप एक अस्त्र का निर्माण कर, उसे बचाव का साधन रूप बनाकर असुरों पर प्रयोग करो. इसी शक्ति से देवों की सुरक्षा और असुरों का विनाश होगा..
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