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-गुरुवाणी
आचार्य भगवन्त ने इस सूत्र के द्वारा बड़ी सुन्दर प्रेरणा दी है:
दीनाभ्युध्दरणादरः दीन-दुःखी आत्माओं का अपमान करके या तिरस्कार करके नहीं. आदरपूर्वक, उनका उद्धार करने की भावना रखें, कोई व्यक्ति आपके द्वार पर याचना लेकर आया. जब व्यक्ति लाचार हो जाये, कोई उपाय न रहे, तब वह किसी के द्वार पर जाता है. कुछ आशा लेकर के जाता है. यदि आपने तिरस्कार कर दिया, परिणाम, उसकी आत्मा दुःखती है. दर्द से भरी हई आत्मा है और कभी अन्तर से अगर दुराशीष निकल गया, परमाणु से भी भयंकर होते हैं.
आप सम्मानपूर्वक, प्रेमपूर्वक उससे निवेदन कर सकते हैं कि भाई, मेरे पास अनुकूलता नहीं है, तिरस्कार नहीं, सम्मानपूर्वक. मेरा कर्त्तव्य है, मैं कोई इस पर उपकार नहीं कर रहा हूं. यह लेने वाला व्यक्ति मेरे ऊपर उपकार की वर्षा करके जा रहा है. यह पुण्य प्रदान कर रहा है. मैं तो पैसे दूंगा. यह व्यक्ति तो मुझे पुण्य का परमाणु देकर के जा रहा है. मेरे अन्तर्भावों को प्रसन्न करके जा रहा है और यह मेरे ऊपर आशीर्वाद की वर्षा भी.
दान देने वाले में ऐसी नम्रता और लघुता आनी चाहिए कि लेने वाला व्यक्ति उपकार की वर्षा करेगा. मैं कुछ नहीं यह तो मुझे पुण्य अवसर दे रहा है. इसलिए उसका अपमान कभी नहीं करना. कई बार ऐसी राजकीय परिस्थिति आ जाती है.
हमारे पूर्वजों ने इतना महान् कार्य किया है. उनका जीवन प्रसंग आप सुनें तो आपको भी प्रेरणा मिल जाए कि क्या कार्य है. अहमदाबाद जिसे - साढे चार सौ वर्ष पूर्व अहमदशाह ने बसाया था, काफी अच्छी समृद्ध नगरी है. आज साढ़े तीन सौ जैन मन्दिर हैं महाजनों की बहत विशाल संख्या है और पहले से ही महाजनों का बड़ा वर्चस्व रहा है. आज गुजरात का या अहमदाबाद का कोई भी निर्णय होगा तो पहले महाजन को पूछा जाएगा. ऐसी एक वहां की पंरपरा रही है, मुगल काल में जो वहां का सूबा कमजोर था, जरा ध्यान नहीं दिया. ___ अहमदाबाद की समृद्धि और उसका आकर्षण देखकर ईरान की तरफ से हजारों की संख्या में लुटेरे, बदमाश लूटने के लिए आए कि पूरे अहमदाबाद को लूटकर साफ कर देना. कत्लेआम शुरु कर देते हैं, मार-धाड़ शुरू कर देते हैं और मकानों को जलाना शुरू कर देते हैं, जिससे लोग भयतीत हो जाएं, घबरा जाएं और बड़ी आसानी से उनकी सम्पत्ति उन्हें मिल जाए. कोई उनका मुकाबला न करे, युद्ध की एक नीति है कि सामने वाले को एकदम भयभीत कर देना, ताकि वह हतप्रभ बन जाए और उस मौके का लाभ लेकर लूट कर के चले जाएं.
नगर सेठों को यह समाचार मिला. बहुत बड़ी संख्या में लूटने के लिए ईरान की तरफ से कोई लुटेरे आए हैं और अहमदाबाद पर उनकी दृष्टि है. शहर से बाहर उन्होंने मुकाम
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