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-गुरुवाणी
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किया है और वे जानते हैं, उनके पास पूरी जानकारी है कि यहां पर इतनी संख्या में सेना नहीं है, जो हमारा प्रतिकार कर सके, मुकाबला कर सके. मौका बड़ा अच्छा है, व्यापार का इतना बड़ा केन्द्र है, करोड़ों की सम्पत्ति बिना पसीना उतारे मिल जाएगी.
नगर सेठ जैसे ही मन्दिर से दर्शन करके आए और बड़ी बैचेनी शुरू हुई. गांव वालों ने मुझे नगर सेठ बनाया. रोज परमात्मा का दर्शन करता हूं, तिलक लगाकर आता हूं कि भगवन् तेरी आज्ञा शिरोधार्य करूंगा और प्रभु की आज्ञा का पालन करने का जब अवसर आया यदि मैं मुंह छिपाऊं तो मेरे जीवन में इससे बड़ा अधर्म कार्य और क्या होगा. तिलक लगाने का मतलब प्रभु तेरी आज्ञा, तेरे वचनों को स्वीकार करता हूं, शिरोधार्य करता हूं, इस कार्य के लिए जो कुछ मेरे पास है, प्रभु तेरी आज्ञा के लिए सर्वस्व समर्पित करता हूं. तिलक इसीलिए लगाया जाता है और इसका एक आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण है.
शरीर के अन्दर नाभि से लगाकर सिर-ब्रह्मांड तक षट् चक्र हैं उसमें आज्ञा चक्र आपकी भृकुटि में, दोनों नेत्रों के बीच आज्ञा चक्र है, आदेश वहां से छूटता है. विचार परमाणु वहां से जन्म लेते हैं. चन्दन का सुन्दर, शीतल तिलक के द्वारा हम प्रतिदिन प्रयोग करते हैं, चन्दन लगाते हैं. वह बड़ा शीतल होता है और शीतोपचार कहा जाता है..
आयुर्वेद की भाषा में, शीतोपचार, विचार में उत्तेजना और गर्मी न आ जाए, इसलिए प्रतिदिन चन्दन का तिलक लगाते हैं ताकि विचार शान्त रहें, सौम्य रहें, आत्मा के अनुकूल रहें, इसके पीछे यह भी एक कारण है. जब प्रसंग आएगा मैं आपको समझाऊंगा. एक-एक चीज की आवश्यकता क्यों है? मन्दिर क्यों चाहिए? यह इस प्रकार का निर्माण क्यों किया गया? मकान कैसा होना चाहिए? इसके अन्दर पूरा विवरण आने वाला है कि कहां, कैसे मकान में रहना है?
आजकल आधुनिकता का प्रतीक बन गया है कि कोठियों में रहना, बंगलों में रहना. भले ही आप प्रसन्नता का अनुभव करें, जीवन की वहां सुरक्षा नहीं मिलेगी. हमारे मोहल्ले में जो व्यवस्था थी. अलग-अलग जातियों के मोहल्ले बंटे हए थे. मोहल्ले में रहने वाले व्यक्ति में पाप का प्रवेश द्वार बन्द मिलता था.
मुहल्ले में एक आदमी अगर अपरिचित आ जाए. पूरा मोहल्ला चौकीदार था. हमारे जीवन का रक्षक था. ध्यान रखते इसके घर कौन आया, कौन गया. क्या वार्तालाप हो रहा है. सारी घटनाएं मालूम रहती थी. व्यक्ति पाप करने से पहले सौ बार सोचता कि करना या नहीं करना - मुहल्ले वाले देख लेंगे. शर्म और लज्जा आपके जीवन का कवच था.
कोठी में कौन देखने वाला है? कौन आया, कौन गया? और यदि विदेश चले गये तो हजरत सुलेमान, आपके प्रिंस आफ बेल्स, क्या धन्धा कर रहे हैं, किसको मालूम. कौन झांककर के देखने वाला. कौन उनके जीवन की रक्षा करने वाला. मुहल्ले में थे तो वहां तक तो पूरा मुहल्ला रक्षण करने वाला था. मुहल्ले का हर व्यक्ति आपके जीवन का रक्षक
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