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गुरुवाणी:
दुर्गन्धमय बन चुका है. विचारों में विकृति आ गई है. जीवन जो सर्जन के लिए मिला था, वह सर्वनाश का कारण बन गया.
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सभी महापुरुषों का एक ही प्रकार का कथन था कि अगर व्यक्ति अपने-अपने धर्म और सम्प्रदाय के अनुसार प्रामाणिक बन जाये, अपने धर्मग्रन्थों के अनुसार आचरण करें तो संसार स्वर्ग बन जाए. वह ईमानदारी हमारे अन्दर नहीं है. अपने भूतकाल के इतिहास को जब देखता हूं कि हमारी धर्मभावना जीवन में सक्रिय थी. हमारे देश का डाकू भी अपने शब्द के लिए प्राण दे देता. जो प्रमाणिकता हमारे आर्य देश के डाकुओं में थी, वह आज हमारे साहूकारों में भी नहीं है.
हमारे वर्तमान जीवन में नैतिकता का ह्रास हुआ है. हमारे अन्दर वह नैतिकता नहीं रही क्योंकि जहां धर्म होगा, वहां नैतिकता तो अवश्य मिलेगी, सदाचार के गुण अवश्य मिलेंगे.
हम राम की बातें करते हैं, मोक्ष की बातें करते हैं, महावीर की बाते करते हैं, लेकिन कभी उनके जीवन की गहराई में नहीं गए. वर्द्धमान से महावीर तक की यात्रा में कितनी रुकावटें आई, कभी देखा है ? उनके जीवन की निर्मलता कभी देखी ?
हम अपने जीवन का आदर्श, लक्ष्य भी अभी तक निर्धारित नहीं कर पाए, जीवन का लक्ष्य है, राम को प्राप्त करें, आत्मा को प्राप्त करें, परमेश्वर तक की यात्रा को प्राप्त करें. संसार में भटकने के लिए नहीं आए. मोक्ष मार्ग पर अग्रसर होने के लिए यात्री बन कर आए हैं. जीवन का एक ध्येय निश्चित करके आए हैं.
हम जगत् की तरफ देखते हैं, कभी स्वयं की तरफ झांककर भी नहीं देखते कि हमारी क्या दशा है. हम देखते हैं, दुनिया किधर जाती है. "वेयर एम आई गोइंग " . मालूम नहीं कि मैं कहा जा रहा हूं. दुनिया से क्या मतलब.
यह हमें
चार-पांच व्यक्ति पूना से बम्बई घूमने के लिए आए होंगे, रविवार का दिन था, दो-पांच मित्रों को साथ लेकर बम्बई घूमने के लिए निकले थे. पूरे दिन घूमते रहे, भटकते रहे, कोई लक्ष्य तो था नहीं, “"ओवर ड्रिंक्स" कर लिया. पूना से टिकट लेकर आये थे. उनको शाम की गाड़ी से वापिस पूना पहुंचना था. नशे में थे, होश नहीं था, टैक्सी मिल गई बुलाया. स्टेशन ले चलो. उसने बाम्बे सेन्ट्रल पहुँचा दिया. उन्हें बस इतना ही मालूम था कि हमें जाना है. गुजरात मेल में बैठ गए. जैसे ही पहला स्टेशन दादर आया. चेकर ने आकर कहा "प्लीज़ टिकट". उन्होंने कहा कि पूना से ही वापसी टिकट लेकर बैठा हूं. प्रथम श्रेणी का यात्री हूं. चेकर ने कहा कि महाशय जी आप गलत बैठ गए हैं. मफतलाल ने कहा क्या बात कर रहे हो, क्यों गलत चढ़ गये ? तुम गलत चढ़ गए, मैं बिल्कुल सही बैठा हूं.
यह आपको गुजरात पहुंचाएगी, पूना नहीं जाएगी.
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