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: गुरुवाणी
इसी प्रकार के हैं. पंसारी की दुकान पर कभी आपने तराजू को देखा है, जो आता है उसे माल तोलकर के दे देता है, झोला भर देता है, परन्तु स्वयं खाली का खाली रहता है. हमारे आधुनिक भाषण देने वाले नेताओं का जीवन भी ऐसा ही होता है, आपूर्ति तो कर देंगे स्वयं का तराजू देखा जाए तो खाली.
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कपड़े की दुकान पर आपने मीटर देखा है, कपड़ा माप करके सारी दुनिया को श्वेताम्बर बना दे परन्तु स्वयं दिगम्बर का दिगम्बर. मीटर के ऊपर एक भी धागा या सूत आपको नहीं मिलेगा ? मात्र उपदेश देने से काम नहीं चलता. पण्डितों ने कहा
"परोपदेशे पाण्डित्य".
उपदेश देने वाले व्यक्ति बहुत मिलेंगे. आवश्यकता है कि उसे आचरण में अपनाया जाय. महावीर परमात्मा ने कहा जानकारी कभी धर्म नहीं होता, आचरण धर्म होता है. दिमाग को लाइब्रेरी मत बनाइये, उसे विचारों का गोदाम मत बनाइए. आचार से उसे प्रकट कीजिए अपने जीवन में संयम की सुगन्ध पैदा कीजिए.
पादरी विचार में पड़ गया और कहा कि यदि आप जानना चाहते हैं तो व्यावहारिक प्रयोग कर सकते हैं. वह समझ गया. पहली बार भारत में आया हूं और यहां इस तरह की समस्या आ खड़ी हुई. मैं अपनी सच्चाई प्रकट नहीं करूंगा तो समस्या पैदा हो जाएगी, 崭
झूठा हो जाऊंगा. साहस जुटाया और कहा कि आप प्रयोग कर सकते हैं.
बड़े मियां ने देखा कि बहुत दिन हो गए आज ज़रा तमाशा तो देखो. ज़ोर का एक तमाचा लगाया. पादरी बड़ा सावधान था, परीक्षा का पेपर लिख रहा था. उसने दूसरा गाल सामने कर दिया कि यह भी हाजिर है, बड़ी नम्रता से ताकि "लार्ड क्राइस्ट" का वचन असत्य न हो जाए बड़े मियां ने देखा कि लाभ से वंचित क्यों रहना, दूसरे गाल पर भी एक तमाचा लगा दिया.
दोनों गालों पर थप्पड़ खा कर के पादरी खड़ा हो गया. बड़े मियां ने देखा कि इसका आचरण तो बड़ा सुन्दर है. इतने में स्टेशन आया और गाड़ी रुक गई. पादरी ने अपना चोला उतारा, सब कुछ उतारा, उन्होंने कहा कि यह क्या कर रहे हो? उन्होंने कहा कि "लार्ड क्राइस्ट" का आदेश मैंने पालन कर लिया. उनका यही आदेश था कि कोई एक गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल भी आगे कर दो. उसके बाद उनका कोई आदेश नहीं. अब तो मुझे आपसे निपटना है, ब्याज सहित वसूल करता हूं. बड़े मियां ट्रेन से उतर कर भाग गये.
शब्दों की जानकारी का यही अर्थ है. बाइबल पढा, शब्द को पकड़ लिया गया. शब्द के शरीर का परिचय हुआ परन्तु उसके रहस्य तक नहीं पहुंच पाए कि कहने का आशय क्या है ? सभी धर्मों में शब्द को पकड़ लिया गया. शब्द के शरीर तक हम पहुंच पाए और यही कारण है, हमारा जीवन आज साम्प्रदायिक द्वेष और क्रोध से भर चुका है, वह
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