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गुरुवाणी
कर दिया. मफतलाल ने बड़ी सफाई दी कि मैं बड़ा प्रामाणिक महाजन के घर जन्मा हूं, कभी गलत काम नहीं किया. क्या पता कोई व्यक्ति मुझे बदनाम करने के लिए यह हार मेरे घर डाल गया हो.
राजा ने कहा मुझे क्या बेवकूफ बनाते हो? मजूरी खुद करे और नफा तुमको दे जाए एसा कोई आदमी मिलेगा जो इतना खतरा लेकर के, इतना कीमती हार मेरे राजमहल से चुरा ले जाए. और तुम्हारे यहां डाल आये - ऐसा कभी नहीं होता है. तुम गलत बात करते हो, तुम्हारी बात पर विश्वास नहीं, तुम्हें सजा मिलेगी.
वहां तो मौखिक कानून था, राजा ने सज़ा दे दी, सजा-ए मौत. इसको फांसी की सजा दे दी जाए. हमारे राजदरबार में आने वाला, दरबारियों के साथ बैठने वाला, एक प्रतिष्ठित परिवार का सदस्य होकर, इतना गलत काम इस व्यक्ति ने किया है,
मफतलाल को काटो तो खून न निकले, उसकी ऐसी दशा हो गई.
महाराज पास में ही बैठे थे, महाराज से निवेदन किया, याचना की कि राजन्! एक सामान्य गलती के लिए इतनी कठोर सजा नहीं देनी चाहिए. महाराज ने कहा-इसने ऐसा कार्य किया. साधु का राजा पर बड़ा प्रभाव था. साधु ने दया की याचना की और कहा कि राजन्, मेरी बात आप मान लें. मैंने कभी आपसे कोई निवेदन नहीं किया, मेरी बात मान कर के आप इसे क्षमा दान दे दीजिए.
राजा ने कहा कि ठीक है, साधु पुरुषों के वचन का अनादर तो नहीं किया जा सकता आप कहते हैं तो इसको क्षमा कर सकता हूं पर एक शर्त - तेल से भरा हुआ एक पात्र इसके हाथ में दूंगा और यह अपने घर से मेरे राजमहल तक आए. एक बूंद भी तेल रास्ते में नहीं गिरना चाहिए फिर मैं इसे क्षमा कर दूंगा. लेकिन इसने जरा भी तेल रास्ते में गिरा दिया तो दो चौकीदार, पहरेदार इसके साथ चलेंगे और इसकी गर्दन उड़ा दी जाएगी.
मफतलाल ने सोचा कि अब प्राण ही जा रहा है तो उसमें कछ तो बचाव का रास्ता है - डूबते हुए आदमी को तिनके का भी सहारा मिल जाए तो धन्यवाद है. शर्त स्वीकार कर ली. सब लोग मफतलाल के घर तमाशा देखने आए. ऐसा तमाशा कौन नहीं देखना चाहता. पूरा शहर उलट गया, नगर के अन्दर रास्ते में भीड़ इकट्ठी हो गई. मौत का जलसा देखने के लिए विशाल जन समुदाय उमड़ पड़ा.
एक दम पूरा तेल से भरा हुआ भगोना, उसके हाथ में दे दिया. आगे ढोल बज रहा है, बैण्ड बज रहा है, शहनाई बज रही है. लोग नाच रहे हैं, कई गीत गा रहे हैं क्योंकि राज-दरबार की ओर से आयोजन था कि भीड़ भड़क्के में इसको भुला देना है. इसके हाथ से तेल निकल जाए, ऐसा प्रयत्न करना है. पीछे दो चौकीदार नंगी तलवार लेकर चल रहे थे. एक बूंद भी तेल रास्ते में गिर गई, छलक गई तो गर्दन अलग. ___ अब मफतलाल दोनों हाथों से भगोना पकड़ कर के रास्ते में चलने लग गए. ढोल और नगाडे बज रहे हैं, शहनाई बज रही है. पूरे गांव के लोग तमाशा देखने के लिए
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