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गुरुवाणी
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गिनते हों, उसमें तीन प्रकार के जाप हैं - मानसिक जाप भी कर सकते हैं. पुकार कर के भी जाप कर सकते हैं. मन्त्रोचार के द्वारा और उपासिका जाप भी कर सकते हैं. ___ अनुष्ठान करते समय मन का जाप करना ज्यादा श्रेष्ठ है. मन की एकाग्रता के लिए, मन के अन्दर, मानसिक जाप करें. जाप जिस समय कर रहे हों दिशा पूर्व या पश्चिम होनी चाहिए, उत्तर और दक्षिण नहीं. क्योंकि ध्रुव का आकर्षण ऐसा है कि उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव मन को चंचल कर उसमें अस्थिरता पैदा करते हैं. अतः पूर्व और पश्चिम की दिशा में बैठने से मन स्थिर रहता है. - इसीलिए जाप में और शुभ कार्यों में दो दिशाओं को शुद्ध माना गया है. इसमें आपको मानसिक चंचलता कम आएगी. ___ अतः जाप निश्चित हो, जाप की संख्या निश्चित हो. एक माला तो एक माला, पांच माला तो पांच माला. साथ में स्थान निश्चित हो. समय निश्चित हो, फिर आप जाप करिए आपको बड़ा आनन्द आएगा.
कई बार लोग मेरे पास आते हैं, कहते हैं कि मन चंचल बनता है. मन का स्वभाव है. णमोकार का मन्त्र आप गिनते हैं, गायत्री मन्त्र गिनते हैं और मैं कहता है कि यदि आप उसको पश्चिम से पूर्व की तरफ गिने - मन एकाग्र रहेगा. णमो से हवई मंगलम् तक आप गिनते हैं. आपको मन को स्थिर रखना है तो हवई मंगलम से शुरू करके णमो तक की यात्रा आप करें. आप देखिए मन कैसा स्थिर रहता है. पूरी तरह स्थिर हो जाएगा.
अभी तो आपने मन को समझाया नहीं. जिस दिन आप मन को समझा देंगे मन मान जाएगा. मफतलाल एक दिन किसी महाराज के पास शिकायत लेकर के आए और कहा कि महाराज - मन स्थिर नहीं रहता है, बड़ा चंचल है, बड़ा इधर-उधर घूमता है, कहां-कहां भटकता है और आप कहते हैं कि मन स्थिर रहता है. मैं मानने को तैयार नहीं, कोई भी तर्क मैं मानने को तैयार नहीं हैं.
राज-दरबार में महाराज बैठे थे. राजा के सामने सेठ मफतलाल ने यह प्रार्थना की कि साधु-सन्त बेकार की बात करते हैं, मन कभी स्थिर रहता है? उसका स्वभाव तो बड़ा चंचल है. महाराज कुछ नहीं बोले कि ठीक है आपके प्रश्न का जवाब आज, नहीं एक-दो दिन बाद देंगे.
राजा के कान में महाराज ने एक बात बतला दी. मन को कैसे स्थिर रखना यह उपाय बतला दिया. महाराज ने पूरे गांव के अन्दर डिण्डोरा पिटवा दिया कि बहुत कीमती, बड़ा मूल्यवान, मेरा हार चोरी हो गया और घर-घर की तलाशी ली जाएगी.
संयोग, घर की तलाशी लेते समय सेठ मफतलाल के घर से हार बरामद हो गया. जिसकी कभी कल्पना नहीं थी. किसी ने सोचा भी नहीं था अब मफतलाल सेठ बड़े विचार में पड़ गए, बड़ी चिन्ता में डूब गये. गिरफ्तार किया, राज-दरबार में लाकर उपस्थित
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