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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गुरुवाणी: "दाणाण सेट्टं अभयप्पयाणं” भगवान महावीर के शब्द हैं. जगत् में सबसे बड़ा दान अभयदान है अर्थात् किसी आत्मा को जीवन दान देना. भगवान महावीर ने कहा, "जीओ और जीने दो" और इससे भी आगे बढ़ कर कहा कि दूसरों के जीवन के लिए तुम अपना जीवन बलिदान करो. खाओ और खिलाओ. महावीर का आदर्श है कि तुम भूखे रह कर भी दूसरों को खिलाओ. स्वयं सहन करके जगत् की आत्माओं को शांति प्रदान करो. यह हमारे धर्म का सिद्धान्त है. उस व्यक्ति ने कहा कि भगवन् आज से मांसाहार का त्याग किसी जीव को मैं दुःखी नहीं करूंगा और आपने जो आदर्श दिया, कभी अगर प्रसंग आया तो प्राण देकर भी दूसरों को बचाऊंगा, यह मैं प्रतिज्ञा करता हूं उसने यह तत्काल संकल्प कर लिया. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एक दिन और एक रात्रि के परिचय का इतना बड़ा परिवर्तन सुबह के समय महाराज विहार करके गए. चातुर्मास का समय आया. यही श्रावण महीना और बिहार में भयंकर बारिश हुई, जहां महाराज गए थे, वहाँ भयंकर बारिश. रात्रि का समय, बाढ़ आई, नाला टूट गया, रेलवे लाइन नम गई. वह टूटने की आवाज आने से वह एकदम जगकर झोंपड़ी से बाहर जाकर झांकता है तो देखा कि रेलवे लाइन नम गई, क्रेक हो गयी. घबरा गया, बिजली की चमक में उसने देखा कि रेलवे लाइन टूटी हुई और थोड़े समय में ट्रेन आने वाली है. बरसों से रहता था, सभी गाड़ियों का समय अन्दाज से उसको मालूम था, उसने अनुमान लगाया कि हज़ारों निर्दोष व्यक्ति इससे मर जाएंगे. क्या मैं तमाशा देखता रहूं, अरे, उस साधु पुरुष कहा है कि मर कर के दूसरों को जीवन दो. मैं जाकर गाड़ी को बचाऊं. घर में परिवार के किसी भी व्यक्ति को नहीं जगाया. उसने सोचा क्या पता मेरे कार्य में रुकावट करें. गरीब व्यक्ति था एक ही धोती थी. उसी की मशाल बनाई, खाने का सारा तेल उसमें डाला. मशाल बना कर के रेलवे • लाइन के पास चलता बना. यह नहीं सोचा मेरे बच्चों का क्या होगा. पुण्य कार्य का आनन्द ऐसा था कि सारा दर्द उसके नीचे दब गया. कितनी प्रसन्नता थी उसको ? यह आज कैसा सुन्दर • मौका मिला ? गुरु महाराज के वचन को आज मैं साकार करने जा रहा हूं. मशाल लेकर वह रेलवे लाइन के किनारे-किनारे दौड़ने लग गया. रास्ते में सोचा स्टेशन तो बहुत दूर है और वहां तक पहुंच नहीं पाऊंगा उसने सोचा कि साइड में दौड़ता हूं तो गाड़ी नहीं रुकेगी, गलत समझ लेंगे. ड्राईवर सोचेगा कोई बदमाश या डाकू गाड़ी लूटने के इरादे से आया है. 77 - अंग्रेज़ों का टाइम था. आन्दोलन भी चल रहा था. ड्राइवर कहीं गलत न सोच ले इसलिए उस व्यक्ति ने विचार बदला और दोनों रेलवे लाइनों के बीच में दौड़ना शुरू किया कि मैं कट जाऊंगा, ट्रेन रुक जाएगी. पंचनामा होगा, लोग इक्ट्ठे होंगे और ट्रेन For Private And Personal Use Only do
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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