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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी रुकने से उनको मालूम पड़ जाएगा कि वास्तविकता क्या है – सामने रेलवे लाइन टूटी हुई है. हजारों आदमी बच जाएंगे. मैं अकेला मरू, इसमें क्या. बहुत बड़ा लाभ है इसमें तो. यह तो लाभ का सौदा है. मन में ऐसा सोचकर लाइन के बीचों-बीच चलने लगा. प्रसन्नता बड़ी प्रबल थी. सामने से ट्रेन आ रही थी. गाड़ी ने सीटी दी रेल चालक ने बहुत बचाने की कोशिश की परन्तु इसको मालूम ही नहीं कि मेरी मौत की पुकार है. इसे नहीं मालूम कि सामने से मौत आ रही है. अपनी धुन में वह इतना आनन्द में डूबा हुआ था. दौड़ता हुआ जा रहा था परन्तु योग की परिभाषा में कहा जाता है: “मेण्टल टेलीपैथी” आप यदि किसी के लिए अच्छा सोचते हैं या विचारते हैं तो वे विचार सामने वाले के हृदय पर, दिल और दिमाग पर असर करते हैं. यह इलेक्ट्रोनिक सिस्टम है कि परमाणु सामने वाले के हृदय पर निश्चित असर करेगा. इसीलिए अपनी प्रार्थना में सदविचार रखते हैं ताकि सभी आत्माओं में मेरे लिए सद्भाव उत्पन्न हो, प्रेम का संचार हो. उसकी बचाने की भावना कितनी सुन्दर थी. यही “मेण्टल टेलीपैथी" काम कर गई. इसने ड्राइवर के अन्दर एक ऐसा विचार पैदा कर दिया कि गाड़ी तो मेरे कण्ट्रोल में है. बहुत बरसात होने से गाड़ी धीमी थी. यह बेचारा मर जाएगा, किसी का घर उजड़ जाएगा. कोई विधवा बन जाएगी, बच्चे अनाथ हो जाएंगे, मैं इसको बचा लूं. यहां बचाने की भावना, ड्राइवर के अन्दर भी बचाने की भावना को जन्म देती है. उसने गाड़ी को कण्ट्रोल में लेना शुरू किया, ब्रेक लगाया. दस-बीस मीटर के फासले पर गाड़ी रुक गई और जैसे ही गाड़ी रोकी और ड्राइवर गुस्से में उतरा. एक तमाचा लगाया और कहा कि मूर्ख, तुझे जेल भेज दूंगा. इस तरह रास्ते में मरने के लिए आया. बहुत जगह है मरने की. ___वह व्यक्ति हाथ जोड़कर, बड़ी नम्रता से कहता है - बाबू! आप गलत समझ लिए है. मैं आपको बचाने की भावना से आया था. इस गरीब के पास सिवाय शरीर के दूसरा कोई साधन नहीं. मैने सोचा आपको कैसे बताऊं. इसलिए मैंने निर्णय किया कि मैं मर जाऊंगा और आप सब बच जाएंगे. इस प्रकार हज़ारों व्यक्ति गाड़ी में बच जाएंगे. सबका आशीर्वाद मिलेगा. मेरे जीवन का पाप धुल जाएगा. गुरु महाराज का जो आशीर्वाद था, वचन था वह फलीभूत हो जाएगा. मैं निष्पाप बनने के लिए आया था और मर कर के आपको बचाने के लिए आया था, संयोग कि आपने मुझे बचा लिया. ड्राइवर सुन कर के विचार में पड़ गया – क्या बात करते हो? कि बाबू जी इस गरीब की झोंपड़ी के सामने जो रेलवे लाइन है वहां एक नाला है, बहुत ज्यादा पानी आने से बाढ के कारण, वह एकदम नम गया. ट गया. मैं घबरा गया. विचार में पड़ गया कि हज़ारों व्यक्ति निर्दोष मर जाएंगे. मैं कैसे उनको बचाऊं. बस बाबू जी! इसी भावना से मैं मशाल लेकर के आया था. मैं गलत आदमी नहीं हूं और यदि आपको विश्वास न हो तो आप स्वयं चलकर देख लें. - 78 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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