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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गुरुवाणी मेरे परिचय से लाभ क्या ? साधु-संतों का परिचय इसलिए किया जाता है, ताकि विचार में परिवर्तन आ जाए, क्रान्ति आ जाए. ऐसी वैचारिक क्रान्ति जिससे सक्रिय बन जायें. परमात्मा के विचार अपने आचार से प्रकट होने लग जाए और आचार सुगन्धमय हो तथा उसमें सदाचार की सुगन्ध हो. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवन में मुझे बहुत से व्यक्ति ऐसे मिले, जिनका जीवन स्वतः मुखरित हो उठा है जिनकी उपस्थिति मात्र उपासक के जीवन को झकझोर दे, जिनका मौन ही उपदेश बनकर बरसे. जिनकी सहज दैनिक चर्या ही धर्म की जननी बनने जिनकी धर्म चर्चा का नहीं, चर्या का सहचर है, उनका परिचय कभी समय आने पर दूंगा. जो चीज़ शब्दातीत है, शब्द के माध्यम से उसका परिचय कभी पूर्ण नहीं बनेगा. निःशब्द की भूमिका से जीवन की साधना का परिचय मिलना चाहिए. यहां शब्द की आवश्यकता ही नहीं. आपका कार्य ही आपका परिचय देता है. आपका आचरण आपके जीवन को सुगन्धा देता है. इस परिचय से यदि आप में परिवर्तन आ जाए, तभी मुझे मानसिक प्रसन्नता मिले. साधु-संतों का परिचय बड़ा महत्व रखता है. समाज और राष्ट्र का उत्थान इसमें निहित है. व्यक्ति की पवित्रता का उद्गम है. वह व्यक्ति की अन्तश्चेतना का उन्मेष करता है. उसका यही चमत्कार है कि वह व्यक्ति की सुषुप्त चेतनाओं को उद्दीप्त करता है. बहुत वर्ष पहले की यह घटना है. प्रेक्टिकल धर्म किसको कहते हैं वह समझा रहा हूं. आपको जानकारी है, शब्दों से आपको परिचय मिला आचरण से धर्म कैसे सक्रिय बनता है, उसका दो मिनट में आपको मैं परिचय दूं. हमारे सन्त, रेलवे लाइन से विहार करते हुए जा रहे थे, बरसात शुरू हो गई. महाराज ने साथियों से कहा - आकाश बादलों से घिरा है, संध्या हो गई है, मुकाम तक पहुंचते - 2 रात हो जाएगी, सन्तों के लिए रात में चलना निषेध है. दृष्टिपूतं न्यसेत्पादम्. साधु जीवन का आचरण है कि देखकर ही पांव रखें, मुनिराज की एक झोपड़ी पर नजर गई, देखा कि खेतों का चौकीदार भी वही है, वहां गए और उससे कहा भाई ! हमें मुकाम तक जाने में रात हो जाएगी. बरसात की सम्भावना है - मात्र एक रात्रि तुम्हारे यहां विश्राम करना है, स्थान मिलेगा ? हम साधु-संत हैं. सुबह हम चले जाएंगे. वह व्यक्ति इतना प्रसन्न हुआ कि मेरे घर परमेश्वर के प्रतिनिधि संत-पुरुष आए. ग्रामीण व्यक्तियों के अन्दर आपको हृदय की सरलता मिलेगी, जो वह प्रसन्नता मिलेगी, वह एक अलग प्रकार की होगी. 75 - शहरी सभ्यता बड़ी विकृत है. हंसना भी यहाँ बनावटी है. आपका रोना भी प्रदर्शन मात्र है. वे सच्चे दिल से रोएंगे और सच्चे दिल से प्रसन्न होवेंगे. उनकी आन्तरिक हृदय की प्रसन्नता ही एक अलग प्रकार की होगी. For Private And Personal Use Only 吧
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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