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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कतलखाना योजना को मानको भावनगरकी जाहिर सभा सख्त विरोध करती है। निर्दोष मूगे प्राणीयों को मारकर उसके चर्म, मांस और अस्थि आदि विदेशो में बेचकर द्रव्य सम्पादन करने की और विदेशी हुडियां प्राप्त करने को अव्यवहारिक व पापा. चारी योजना से भावनगर की जनता बहुत दुःख का अनुभव करती है। भारतकी अति प्रसिद्ध सत्य, अहिंसा की नीति के अंचलमें इस प्रकार की भय कर हिंसात्मक व खतरनाक योजनाएं सारे देश के-लिये कलंक रूप है। आजादी प्राप्त होने के बाद स्व. महात्मा गांधीजीकी रामराज्य स्थापन करने की तीव महेच्छा थी. किली का जीव दुभाय वैसा वे इच्छते नथे, प्राणी मात्रका रक्षण होना चाहिये ऐसी उनकी दृढ मान्यता थी । आज अपने राष्ट्रपिताकी उस पवित्र भावना पर, और अपनी नसनस में ओतप्रेत बनी हुई जीवदया की भावना पर आघातजन्य जेा घाव हो रहै हैं. उसकेलिये सम्पूर्ण देश की जनता अब जागृत बनी हैं । इस प्रकारकी राक्षसी, वृत्ति को रोकने के लिये जनता अपना कर्तव्य समझकर विरोध प्रदिर्शित करती है। यह सभा भारत सरकार और महाराष्ट्र सरकार का ध्यान खींचती है कि । भारतवासी गाय आदि परमेोपयोगी प्राणी हैयही नहीं मानती किंतु साथसाथ गायको सर्वदेव मयी विश्वकी माता, वृषभका पिता के समानदेव, और अन्यजीवोंको आत्मवत् मानती है। सरकार अपनी निश्चित को हुई नीति और शासन विधान (Contritution ) की अवगणना करके इस प्रकार के घोर हिंसाजन्य कतलखाना को खड़ा करने का विचार करके, अहिंसाप्रिय सहिष्णु लोगों के दिलमें भयंकर आघात पहुचाने को तैयार हुई है। यह सचमुच अत्यन्त शर्मजनक कृत्य है । For Private And Personal Use Only
SR No.008709
Book TitleDevnar Ka Katalkhana Bharat Ke Lie Kalank Roop
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri, Narayan Sangani
PublisherDevnagar Katalkhana Virodhi Jivdaya Committee
Publication Year1963
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size4 MB
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