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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३२ २८-७-६३ रविवार के दिन श्री कृष्णकुमारसिंहजी टाऊनहोलमें एक विराट सभा मिलीथी । पूज्य जैनाचार्य श्री मेरुप्रभसूरिजी महाराज और उपाध्याय श्री कैलाससागरजी महाराज ने जीवदया के विषय पर प्रेरक व मननीय प्रवचन कियाथा । पश्चात् सनातनधर्म महासभा के प्रमुख श्री नारणजीभाई सांगाणी ने कतलखाने बंद होने चाहिये और प्राणी हिंसा सदाके लिये बंदहोनी चाहिये इस विषय पर अपने मन्तव्य व्यक्त कियेथे । श्री जसव ंतराय रावलने भी भारतीय संस्कृति का ख्याल देते हुए भगवान कृष्ण, भगवान महावीर, भ. बुद्ध व महात्मागांधीजी के जीवरक्षा विषयक जो बोध थे उसपर जोर देकर जीवहिंसा कतईबंद होजाय, उसके लिये अपने विचार प्रगट किये थे । तद् पश्चात् स्वामी श्री अतुलानदीने उपर्युक्त विषयों का समावेश करते हुए प्रेरणात्मक प्रवचन कियाथा, और जनतामें धर्म की रक्षा केलिये जागृति का उदय हो तथा किस प्रकारसे जीव हिंसा बंद होसके उसके लिये मार्ग दर्शन भी दियाथा । उसके बाद रमणिकलाल मागीलाल शाह ( बकुभाई) की और से देवनार कतलखाना के विरोध का प्रस्ताव पेश करने में आयाथा, और उस प्रस्ताव को श्री रामरायभाई वकील, शाह जीवनलाल गोरधनदास, और श्री बालकृष्ण शुकने प्रासंगिक प्रवचन के साथ समर्थित कियाथा। साथही सर्वानुमत से पसारित किये हुए प्रस्तावके बाद श्रीगिरधरभाई वासाणीने देवनार कत नाना विरोधी जीवदया कमेटी की कार्यवाही की रूपरेखा दी थी, और सबका आभार व्यक्त किया था । दिनांक २८-७-६३ के दिन भावनगर टाऊन हालमें देवनार कतलखाने का विरोध करनेके लिये शहरनिवासी जनोंकी जाहिर सभाका प्रस्ताव : दया करुणा और अनुकपाके प्रेरकतत्वोंसे निर्मित अपनी भारतीय संस्कृति के मूल में कुठाराघात करती भारत सरकार, महाराष्ट्र सरकार और बम्बई म्युनिसिपल को पेरेिशन की देवनार For Private And Personal Use Only
SR No.008709
Book TitleDevnar Ka Katalkhana Bharat Ke Lie Kalank Roop
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri, Narayan Sangani
PublisherDevnagar Katalkhana Virodhi Jivdaya Committee
Publication Year1963
Total Pages58
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Ethics
File Size4 MB
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