________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
बहुमतीकी जो बाते करते हैं-कि मांसाहारी दिनोदिन बढते जा रहे हैं, आदि-यह बात भी भ्रमपूर्ण है । अगर पूर्णतया अहिंसाका प्रचार व हिंसा का विरोध किया गया होता, तो आज इतने मांसाहारी न बनने पाते । मांसाहारी जन जब विरोध के कारणों से परिचित होते तो उनमें भी अवश्य मांसाहार छोडने की भावना पैदा होती !
आजका प्रत्यक्ष प्रमाण :
__ आजका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि युरोपमें इसका व्यवस्थित प्रचार होने से वे लोग दिनोंदिन अधिक संख्यामें शाकाहारी बनते जारहे है । और हम विरोधके अभावमें मांसाहारी बनते जा रहे हैं। ___ " अब दूसरी बात यह रही कि इतने विशाल जन समुदाय का मांसाहार से कैसे छुड़ाया जाय ? संभवित नहीं है आदि..." यह तो कायरता पूर्ण भाषा हैं, और इसी प्रकारके कायरता सूचक शब्दों के कारण ही तो हम मांसाहार नहीं छुडा सके !
एक-एक महा पुरुषांके वचनों से जब क्रोडों व्यक्ति प्रभावित बन सकते हैं, उनके अनुयाई बन सकते है, उनकी बतलाइ आचरणाको यथेच्छा पूर्वक पालन भी कर सकते हैं । तब क्या हमारे में इतनी भी शक्ति नहीं कि हम ५-२५ को भी शाकाहारी या अहिंसक न बना सकें ? आज लाखों की संख्यामें भारतमें साधु संत है, अगर सभी साधु संत चाहै तो स्व उद्यम से भारतका पूर्णतया शाकाहारी बना सकते है। थोडा समय जरुर लगेगा, परन्तु संभवित जरुर है।
हम कानूनका भी परिवर्तन करा सकते हैं ।
अब रहा बहुमत और कानून का प्रश्न-तो यह भी काई खास बात नहीं है। अभी हाल ही की बात हैं पंजाब सरकारने एक
For Private And Personal Use Only