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॥ अहिंसा परमो धर्मः ।।
देवनारका कतलखाना भारतके लिए कलंक रूप। ऐसे तो भारत एक आध्यात्मिक एवं धर्म प्राण देश है। आध्यात्मिकता और धर्म का अगर कोई प्राण है तो वह अहिंसा ही है। अहिंसात्मक संस्कृति ही भारत की प्राचीनतम संस्कृति रही है। पश्चात् किन्ही अन्य कारणांसे नैसे कि-दुष्काल, स्वादलोलुपता, इष्ट वस्तुकी प्राप्ति हेतु पशु बली आदि के कारणों से इस देशमें मांसाहार का प्रचार हुआ। बादमें क्रमशः उसमें वृद्धि होती रही।
विदेशी यात्रीयोंकी डायरीमें तत्कालीन भारत के विषय में बहुत कुछ लिखा हुआ मिलता है। उसमें मांसाहार करनेवाले व्यक्तियोंके विषयमें भी कुछ लिखा हुआ पाया जाता है। __ फाह्यान जिसने ई. स. ३९९ से १४ तक उत्तर भारतकी यात्रा की थी, अपनी डायरीमें लिखता है, "चांडालोंके सिवाय कोई भी व्यक्ति किसी भी जीवका वध नही करता है। न कोई मद्यपान ही करता है, और न काई जीवित पशुओंका व्यापार ही करता है।" जी. टी ह्रीलर द्वारा लि खत "भारत-वर्षका इतिहास" द्वीतिय भाग
एन सांग अपनी डायरी में लिखना है कि “सम्राट हर्ष के प्रयत्म से भारत-वर्ष के पासके पाँचो द्वीपामें मांस भक्षण और पशुवध बंद हो गया था।"
विश्व पर्यटक राम निवासी माकपाला-जिसने ई. स. १२६० से १२९५ तक भारत की यात्रा की थी, अपनी डायरीमें लिखता है कि-" चांडालोके सिवाय कोई भी व्यक्ति मांस आदि नहीं
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