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________________ 28 * प्रासादमञ्जरी पूर्वादि दिशाओंके आठ दिक्पालों के अनुक्रमसे तथा क्षेत्रपाल गणेश एवं चंडी की विधिवत पूजा करके कार्य का प्रारम्भ करना चाहिये । १०-११. निषिद्ध मुहूर्त :-धन अथवा मीन राशिमे जब सूर्य का प्रवेश हो; गुरु एवं शुक्र के चद्रका अस्त काल; वैद्यति, व्यतिपात योग एव दग्धा तिथिमे कार्य का प्रारम्भ अथवा वास्तु कदापि नहीं करना चाहिये । कन्यादि तीन राशि के सूर्य में पूर्वादि द्वार वाले वास्तु नहीं करना चाहिये (अर्थात् प्रारम्भ नहीं करना) इसका कारण यह है कि सृष्टिक्रमानुसार वत्सको मुख उपरोक्त दिशाओं में रहता है। जिससे उस निषिद्ध कालमें यदि कार्यका प्रारम्भ करें, तो स्वामीका नाश होता है। १२-१३. समचोरस क्षेत्रका देवगणादि श्रेष्ठ गणित आमना सामना नक्षत्र | गण | चंद्र | आय सामना अंक न सामना अंक १५ नक्षत्र | गण | चंद्र | आय १.१४३.३ मृगशिर्ष देवगण पूर्व ध्वजाग ५.०४५.५ अनुराधा देवगण पश्चिमे ध्वजाय १.३४१३ | रेवती , उत्तरे ६.१३४५.१३ मृगशिर्ष " | पूर्व १.५४१.५ मृगशिर्ष , । पूर्व , .१५४५.१५/ रेवती | ,, उत्तरे १.१३-१.१३/अनुराधा , पश्चिमे , ५.१७४५.१७ मृगशिर्ष , १.२१४१.२१/ रेवती , उत्तरे ६.९४६.९ रेवती | २.५४२५ पुष्य | " ६.१७४६.१७ पुष्य !, २.७४२.७ | पुष्य । .. ध्वजाय ६.१९४६.१९ पुष्य देवगण २.१५४२.१५ रेवती ,, | ,, ७.३४७.३ | रेवती ,, २.२३४२.२३/अनुराधा " पश्चिमे ,, ७.११४७.२१ अनुराधा , ३.७४३.७ मृगशिर्ष , | पूर्व ., ७.११४७.११ मृगशिर्ष , ३.९४३.९ | रेवती ,, उत्तरे , ७.२९४७ २९/ रेवती | . ३.११४३.१५मृगशिर्ष , ध्वजाय७ २३४७.२ मृगशिर्ष , ३.१९४३.१९ अनुराधा , |, | ८.७४८.७ अनुराधा ,, ४.३४४३ | रेवती , | , ८.१५४८.१५ रेवती ४.११४४.११/ पुष्य | " ८.२३४८.२३ पुष्य ४.१३४४.१३ पुष्य | | ९१ ४९.१ | पुष्य | ४.२१४४.२१, रेवती ,, ,, | ९९४९९ | रेषती ९.३७४९.३७ अनुराधा , पश्चिमे
SR No.008427
Book TitlePrasad Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year1965
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size5 MB
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