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________________ 63 * Prasad Manjari * अथ आमलसारा प्रमाण ५ शिखरके स्कंध बांधणे छभाग करके आमलसारा सात १ ग्रीव भाग विस्तार करना चाहिए, किन्तु कलश सहित आमल१॥ आमला सारेकी ऊंचाई सात भाग तककी होनी चाहिये । आमल0॥ चंद्रस सारेका गला १ भाग । मध्यका गोला आमलक डेढ 0|| जांजरी भाग, चंद्रस सहित जांजरी (गोला) डेढ भाग, इस ४ चार भाग उदय प्रकार चार भागका आमलसारे का उदय जानना ३ कलश शेष तीन भाग ऊँचा कलश (इंडा) और कलशका विस्तार दो भाग रखना. ८८ ८९ मूल शिखरके उपाङ्ग वालंजर-मूल शिखर के पायचा विस्तारका दश भाग करना उसमेंसे दोदो भागकी दो रेखा-या कर्ण, डेढ डेढ भागके दो प्रतिरथ, और सारा भद्र ३ तीन भागका । इस प्रकार कुल दश भाग हुए और उपर स्कंध बांधणा विस्तारका नौ भाग करना जिसमें दो दो भागकी दो रेखाये, डेढ डेढ भागके - MAMI - हा माग -..-नाभाग--4 शहर संधेबाजर३: ESTRE) प्रा . -मूल-रेखा १०भाग-- -...-पालज२२२ भाग------- __१९ दीपार्णव ग्रंथमें आमलसारेका विस्तार विभाग २८ और ऊदय भाग १४ चौदा कहा हैं। गला तीन भाग अडक भाग पांच, चंद्रस भाग ३ तीन और ऊपरकी आमलसारी गोला भाग तीन मीलके चौदह भाग उदय । अब विस्तार भाग कहेते हैं, ऊपरका गोला आमलसारी विस्तार १३ तेरा भाग, चंद्रस विस्तार १८ अठारा और आमलसारो कुल विस्तार २८ अठ्ठावीश भाग कहा है।
SR No.008427
Book TitlePrasad Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year1965
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size5 MB
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