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* प्रासादमञ्जरी *
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नाटोश शिव
त्रिपुराम्तक शिव
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त्रिपुरान्तक शिव अथ गर्भगृह-गर्भगृह भीतर से ।समचारम अथवा भद्रवाला अथवा लंबचारस आकृतीका श्रेष्ठ समजना (चोडाईसे उंडाई जास्ती हो ऐसा ल बसोरस गर्भगृह नलाङ्ग कहा जाता है ये दोपकारक है।) १२
१२ लंब चौरस गर्भगृह श्रेष्ठ माना गया है। परंतु शिल्पकी क्रियाविधिसे अज्ञात अपनेको शिल्पका ज्ञाता मानने वाले उनका अर्थ विना समजे श्रेषु कु नेष्ठ कहते हैं। चोडाईसे उडाई जास्ती होये एसा लंब चोरस गर्भगृह
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अधकेश्वर