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उपर आपेली कविता एक न कर्तानो छे, छतां एमां काळभेदने लीधे केवो फेरफार थएलो छे, ए, जाडा अक्षरोमां मूकेलां रूपो उपरथी जणाइ आवे छे.
___ जो के २० मा सैकानी असरथी रूपांतर पामेली ए कवितामा १८ मा सैकानी कविनी भाषानां केटलां य रूपो जळवाइ रह्या छ तो पण रूपांतर पामेली ए कवितानी भाषाने काइ १८ मा सैकानी नहि कहेवाय तेम १८ मा सैकानी भाषाथी मिश्रित पण नहि कहे. वाय ते ज रीते श्री वीरना १००० मा सैकामां रूपांतरने पामेला ए. आगमोमां भगवान महावीरना समये रचाएला आगमोनी भाषानां केटलां य रूपो जळवाइ रह्यां होय तो पण ए वीरना १००० मा सैकामां रूपांतरने पामेला आगमोनी भाषाने काइ वीरना समयनी भाषा नहि कहेवाय तेम वीरना समयनी भाषाथी मिश्रित पण नहि कहेवाय. तात्पर्य ए छे के, भास वगेरे प्राचीन कविओनी, वररुचिनी अने छेवट अशोकनी धर्मलिपिओनी मागधी भाषानु थोडे घj पण स्वरूप वर्तमान आगमोमा रहेलुं होय तेम जगातुं नथी तो पछी आगमोनी भाषाने ' अर्धमागधी' नाम कइ रीते अपाय ?
अत्यार सुधी तो आपणे · अर्धमागधी' ना संबंधमां पुरातन ग्रंथ, लेख अने व्याकरणने आधारे विचार कर्यो, पण हवे ए संरंधमां आधुनिक ग्रंथकारोनो अभिप्राय पण जोइ लइए: ___ फक्त मार्कडेय अने क्रमदीश्वर सिवाय बीजा कोइ अर्वाचीन वैयाकरणे अर्धमागधीना स्वरूपने लगतो काइ उल्लेख को जणातो नथी.
मार्कडेय कहे छे के:-- ___“ शौरसेन्या अदूरत्वाद् इयमेवार्धमागधी ॥
प्राकृतसर्वस्व पृ० १०३