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________________ आम लखीने एज ग्रंथकार अर्धमागधीना उदाहरण तरीके आ वाक्य आपे छे---- " अय्न वि णो शामिणीए हिलिम्बादेवीए पुश्तघडुक्कअशोए 'ण उवशमदि" ( वेणीसंहार तृतीय अंक ) अने साथे-- __“ राक्षसी-श्रेष्ठि-चेटाऽनुकादरर्धमागधी " ए भरतनुं वाक्य पण टांकी बतावे छे. क्रमवीधर पोताना संक्षिप्तसारप्राकृतपादमा जणावे छे के, ___महाराष्ट्रीमिश्राऽर्धमागधी" ५-९८ आ उल्लेखनी व्याख्या करतां आचार्य विधुशेखर भट्टाचार्य आ प्रमाणे जणावे छे--- " अर्धमागधी शब्द टि द्वाराई जानिते पारा याईते छे ये; ए भाषार शब्दप्रभृतिर अर्धे अंश ठीक मागधी अर्थात् प्राकृतमागधी । तवे ताहार पर अपर अर्ध अंश कि ? क्रमदीश्वर बलियाछेन ताहा महाराष्ट्री-प्राकृतमागधी महाराष्ट्री सहित मिश्रित हईया अर्धमागधी नाम धारण करे। ताहार उदाहरणलभशवशनमिलशुलशिलविअलिदमंदाललाजिदंहिजुगे । वीलजिने पक्खालदु मम शयलमवजनंवालं ॥" पालिप्रकाशनी प्रस्तावना पृ० १६-१७ उपर्युक्त बने वैयाकरणोए जणावेलु अर्धमागधीन स्वरूप आगमोनी भाषामां घटी शके खरूं ? आ प्रश्ननो उत्तर आ० विधुशेखरजीए जणावेली उपर्युक्त गाथा ज आपी रही छे.
SR No.008425
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year1925
Total Pages456
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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