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________________ आटलं लख्या पछी ए आचार्यवर :. उक्तं च" कहीने पोताना उल्लेखना पोषणमा एक जना संवादने टांकी बतावे छे-- " बालस्त्रीमूढमूर्खाणां नृणां चारित्रकाशिणाम्। अनुग्रहार्थ तत्त्वज्ञैः सिद्धान्तः प्राकृतः कृतः ॥" (दशवैकालिक टीका पृ० ११३ बाबु.) आ उपरथी आपणे जोइ शकीए छीए के आपणो आ मत हरिभद्र करतां य जूनो ठरे छे. जे प्रसंगमा हरिभद्रे उपर्युक्त उल्लेखने मूकेलो छे ते ज प्रसंगमा वादिदेवसूरिना गुरु आचार्य मुनिचंद्र पण ए न उल्लेखने ( हरिभद्रना 'धर्मबिंदुनी टीकामां ) मूके छे. धर्मबिंदु पृ० ७७, द्वितीय अध्याय आत्मानंद समानी आवृत्ति. आचार्य मलयगिरि. पण प्रज्ञापनानी पोतानी टीकामां एवा न प्रसंगमां ए ज वातने नणावे छे-प्रज्ञापनासूत्र टीका समितिनु पृ०६०. हेमचंद्रनी पछी थयेला आचार्यों द्वारा पण ए ज मतने टेको आपवामां आव्यो छे— ____ आचार्य प्रभाचंद्रे बनावेला अने श्रीप्रद्युम्नसूरिए शोधेला प्रभावकचरित्रमा (पृ० ९८-९९) जणाव्यु छ के, " अन्यदा लोकवाक्येन जातिप्रत्ययतस्तथा । आबाल्यात् संस्कृताभ्यासी कर्मदोषात प्रबो(बा)धितः।।१०९ १ उपरना बधा उल्लेखोमां वपराएलो 'प्राकृत' शब्द प्राकृतभाषानो सूचक छे, अनुयोगद्वारसूत्रमा 'प्राकृत' शब्द प्राकृतभाषाना अर्थमां वपराएलो छे. (पृ० १३१ स०) वैयाकरण वररुचिना समयथी तो ए शब्द ए अर्थमां वपरातो आव्यो छे, अने ए पछीना आचार्योए पण ए शब्दने ए ज अर्थमां वापरेलो छे. माटे कोइए अहीं ए शब्दने भरडवो नहि.
SR No.008425
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year1925
Total Pages456
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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