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________________ हवे । वर्तमान जैन आगमोने महावीर भाषित समजीने कोई ए आगमोनी ज भाषाने अर्धमागधी कहे अने ए उपरथी ज एनां व्याकरण अने कोष बनावे तो न बनी शके ? ' ए प्रश्ननुं समाधान आचार्य हेमचंद्रे पोतानी कृतिद्वारा अने उपर्युक्त उल्लेखद्वारा पण करी नांख्युं छे एथी आ आगमोनी भाषाने अर्धमागधी समजवी के एम समजी:ए विपेनां पुस्तको लखवां ए भाषाना इतिहासमा गोटाळो करवा सिवाय बीजु शु होई शके ? ___ आचार्य हेमचंद्रना पूर्ववर्ती अने अंगसूत्रोना टीकाकार आचार्य अमयदेवे पण अर्धमागधी. नाम धरावती भाषाने प्राकृत लक्षणनी बहुलतावाळी जणावी छे. तेमणे लख्यु छे के 'दिन्नल्ले गहियल्ले' एम बोल. नारा होय छे. पियमहिलासंगामे सुंदरगोत्ते य __ पछी आंध्रना लोकोने जोया, भायणे रोहे। ए लोकोने स्त्री अने संग्राम बन्ने 'अदि माद' भगति अवरे प्रिय होय छे, एमनां गोत्रो सुंदर अंधे कुमारो पलोएइ ॥ होय छे, अने ए लोको रौद्र तथा भयंकर अने 'अदि माद' एम बोलनारा होय छे. उपरना उल्लेखमां गोल्ल (गौड ?), मध्यदेश, मगध, अन्तर्वोद, कीर, ढक, सिंध, कारु (कारवाड), गूर्जर, लाट, मालव, कर्णाटक, ताइअ (१) कोशल, महाराष्ट्र अने आंध्र एम सोळ देशोने जणावेला छे. कुवलयमालानो आ उल्लेख अहीं एटला माटे आप्यो छे के, एमां ए देशोनी गणना ए रीते करेली छे. ( आचार्य जिनविजयजीनी एक नोंधद्वारा आ उल्लेखने हुँ "कुवलयमाला'माथी मेळवी शक्यो है)
SR No.008425
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year1925
Total Pages456
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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