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________________ 'अम्हं काउं तुम्हं' भणिरे पाडनारा, लेपन करनारा, सुशोअह अच्छइ लाडे । भित शरीरवाळा अने 'अम्हं काउं तुम्ह' एम बोलनारा होय छे. तणुसाममडदेहे कोवणए ____ पछी माळवाना लोकोने जोया, माणजीवणे रोहे। ए. लोको, काळा अने नाना शरीर'भाइ य भणी तुन्भे' वाळा, क्रोधी, अभिमानी, रौद्र भणिरे अह मालवे दिहे ॥ अने 'भाइ य भइणी तुब्भे' एम बोलनारा होय छे. उक्कडप्पे पियमोहणे य पछी कर्णाटकना लोकोने रोद्दे पयंगवित्ती य । जोया, ए लोको दर्पवाळा, मोह 'अडिपांडि रमरे' भणिरे वाळा, रौद्र, चंचळ अने 'आडेपेच्छइ कनाडए अण्णे । पांडि रमरे' एम बोलनारा होय छे. कुप्पातपाउयंगे मासणइ (१) ___पछी ताइ लोकोने जोया, ए पाणमयणतलिच्छे । लोको कंचुक पहेरनारा अने ' असि 'असि किसि मणि' भण. किसि मणि' एम बोलनारा माणे अह पेच्छइ ताइए अवरे || होय छे. सव्वकलापब्भटे माणी पिय- पछी कोशलदेशना लोकोने कोयणे कढिणदेहे । जोया, ए लोको सर्वकलाहीन, . 'जल तल ले' भणमाणे मानी, कोपी अने 'जल तल ले' कोसलए पुलइए अवरे ॥ एम बोलनारा होय छे.. : “दटमडहसामलंगे सहिए पछी महाराष्ट्रना लोकोने अह; माणकलहसीले य। जोया, ए लोको शरीरे दृढ, ...: दिन्नलले गहियल्ले' उल्ल- नाना अने काळा : होय छे तथा विरे तत्थ मरहहें ॥ ........: खहितमा मान-कलहशील अने -
SR No.008425
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year1925
Total Pages456
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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