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कहानजैनशास्त्रमाला]
षड्द्रव्य-पंचास्तिकायवर्णन
[३३
ऽनेकान्तद्योतक: कथंचिदर्थे स्याच्छब्दो निपातः। तत्र स्वद्रव्यक्षेत्रकालभावैरादिष्टमस्ति द्रव्यं, परद्रव्यक्षेत्रकालभावैरादिष्टं नास्ति द्रव्यं, स्वद्रव्यक्षेत्रकालभावैः परद्रव्यक्षेत्रकालभावैश्च क्रमेणादिष्टमस्ति च नास्ति च दव्यं, स्वद्रव्यक्षेत्रकालभावैः परद्रव्यक्षेत्रकालभावैश्च युगपदादिष्टमवक्तव्यं द्रव्यं, स्वद्रव्यक्षेत्रकालभावैर्युगपत्स्वपरद्रव्यक्षेत्रकालभावैश्चादिष्टमस्ति चावक्तव्यं च द्रव्यं, चरद्रव्यक्षेत्रकालभावैर्युगपत्स्वपरद्रव्यक्षेत्रकालभावैश्वादिष्टं नास्ति चावक्तव्यं च द्रव्यं, स्वद्रव्यक्षेत्र-कालभावै: परद्रव्यक्षेत्रकालभावैश्च युगपत्स्वपरद्रव्यक्षेत्रकालभावैश्वादिष्टमस्ति च नास्ति चावक्तव्यं च द्रव्यमिति। न चैतदनुपपन्नम्, सर्वस्य वस्तुनः स्वरूपादिना अशून्यत्वात्, पररूपादिना शून्यत्वात्,
यहाँ [ सप्तभंगीमें ] सर्वथापनेका निषेधक, अनेकान्तका द्योतक स्यात् ' शब्द 'कथंचित् ' ऐसे अर्थमें अव्ययरूपसे प्रयुक्त हुआ है। वहाँ -[१] द्रव्य स्वद्रव्य-क्षेत्र-काल-भावसे कथन किया जाने पर 'अस्ति' है; [२] द्रव्य परद्रव्य-क्षेत्र-काल-भावसे कथन किया जाने पर 'नास्ति' है; [३] द्रव्य स्वद्रव्य-क्षेत्र-काल-भावसे और परद्रव्य-क्षेत्र-काल-भावसे क्रमश: कथन किया जाने पर 'अस्ति
और नास्ति' है; [४] द्रव्य स्वद्रव्य-क्षेत्र-काल-भावसे और परद्रव्य-क्षेत्र-काल-भावसे युगपद् कथन किया जाने पर अवक्तव्य' है; [५] द्रव्य स्वद्रव्य-क्षेत्र-काल-भावसे और युगपद् स्वपरद्रव्य-क्षेत्र-काल-भावसे कथन किया जाने पर 'अस्ति और अवक्तव्य' है; [६] द्रव्य परद्रव्य-क्षेत्रकाल-भावसे और युगपद स्वपरद्रव्य-क्षेत्र-काल-भावसे कथन किया जाने पर 'नास्ति और अवक्तव्य' है; [७] द्रव्य स्वद्रव्य-क्षेत्र-काल-भावसे, परद्रव्य-क्षेत्र-काल-भावसे और युगपद् स्वपरद्रव्य-क्षेत्र-काल-भावसे कथन किया जाने पर 'अस्ति, नास्ति और अवक्तव्य' है। - यह [ उपर्यक्त बात ] अयोग्य नहीं है. क्योंकि सर्व वस्त [१] स्वरूपादिसे 'अशन्य' है. [२] पररूपादिसे - 'शून्य' है, [३] दोनोंसे [ स्वरूपादिसे और पररूपादिसे] 'अशून्य और शून्य' है [ ४ ] दोनोंसे [ स्वरूपादिसे और
१ स्यात् कथंचित; किसी प्रकार; किसी अपेक्षासे। [ 'स्यात्' शब्द सर्वथापनेका निषेध करता है और अनेकान्तको प्रकाशित करता है - दर्शाता है।
२। अवक्तव्य जो कहा न जा सके; अवाच्य। [ एकही साथ स्वचतुष्टय तथा परचतुष्टयकी अपेक्षासे द्रव्य कथनमें नहीं आ सकता इसलिये 'अवक्तव्य' है।]
३। अशून्य=जो शून्य नहीं है ऐसा; अस्तित्व वाला; सत्।
४। शून्य=जिसका अस्तित्व नहीं है ऐसा; असत्।
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