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________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates ४९ विषय गाथा | विषय गाथा * जीवद्रव्यास्तिकायका व्याख्यान * व्यपदेश आदि एकान्तसे द्रव्यगुणों के | संसारदशावाले आत्माका सौपाधि और अन्यपनेका कारण होनेका खण्डन ४६ निरुपाधि स्वरूप २७ वस्तुरूपसे भेद और [ वस्तुरूपसे ] | मुक्तदशावाले आत्माका निरुपाधि स्वरूप २८ । अभेदका उदाहरण ४७ सिद्धके निरुपाधि ज्ञान दर्शन और द्रव्य और गुणोंका अर्थान्तरपना होनेसे सुखका समर्थन दोष जीवत्वगुणकी व्याख्या ३० ज्ञान और ज्ञानीको समवाय सम्बन्ध | जीवोंका स्वाभाविक प्रमाण तथा उनका | होने का निराकरण ___ मुक्त और अमुक्त ऐसा विभाग ३१-३२ | समवायमे पदार्थनतरपना होने का | जीवके देहप्रमाणपनेके दृष्टान्तका कथन | ३३ । | जीवका देहसे देहान्तरमें अस्तित्व , देह दृष्टांतरूप तथा हाष्टतिरूप पदार्थ | से पृथकत्व तथा देहान्तरमें गमन का | पूर्वक, द्रव्य और गुणोंके अभिन्नकारण पदार्थपनेके व्याख्यानका उपसंहार | ५१-५२| | सिद्ध भगवन्तोंके जीवत्व एवं देहप्रमाणत्वकी व्यवस्था | ३५ सिद्धभगवानको कार्यपना और | अपने भावोंको करते हुए, क्या जीव कारणपना होनेका निराकरण | अनादि अनन्त है ? क्या सादि सान्त | 'जीवका अभाव सो मुक्ति' -इस बात | | है? क्या सादि अनंत है? क्या का खण्डन ३७ तदाकाररूप परिणत है ? क्या | चेतयितृत्व गुणकी व्याख्या ३८ तदाकाररूप अपरिणत है ? --इन किस जीवको कौनसी चेतना होती है आशंकाओंका समाधान उसका कथन ३९ | जीवको भाववशात् सादि-सांतपना और | उपयोग गुणके व्याख्यानका प्रारम्भ ४० - अनादि-अनन्तपना होनेमें विरोधका ज्ञानोपयोगके भेदोंके नाम और स्वरूपका कथन ४१ | जीवको सतभावके उच्छेद और असतदर्शनोपयोगके भेदों के नाम और भावके उत्पादमें निमित्तभूत उपाधि स्वरूपका कथन का प्रतिपादन एक आत्मा अनेक ज्ञानात्मक होनेका जीवोंको पाँच भावोंकी प्रगटताका वर्णन | ५६ समर्थन । ४३ | जीवके औदयिकादि भावोंका अकर्तृत्व| द्रव्यका गुणोंसे भिन्नत्व और गुणोंका प्रकारका कथन ५७ द्रव्यसे भिन्नत्व होनेमें दोष | निमित्तमात्ररूपसे द्रव्यकर्मोका द्रव्य और गुणोंका स्वोचित अनन्यपना । ४५ । औदयिकादि भावोंका कर्तापना ५८ परिहार ४४ Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com
SR No.008395
Book TitlePunchaastikaai Sangrah
Original Sutra AuthorKundkundacharya
Author
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year2008
Total Pages293
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size3 MB
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