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________________ 卐 विषयानुक्रमणिका ॥ गाथा १७ विषय गाथा | विषय १ षड्द्रव्यपंचास्तिकायवर्णन | दोनों नयों द्वारा द्रव्यके लक्षणका विभाग | द्रव्य और पर्यायोंके अभेदपनेका कथन | * षड्द्रव्यपंचास्तिकायके सामान्य | द्रव्य और गुणोंके अभेदपनेका कथन व्याख्यानरूप पीठिका * | द्रव्यके आदेशके पक्ष सप्तभंगी। | उत्पादमें असत्का प्रादुर्भाव और व्ययमें । | शास्त्रके आदिमें भावनमस्काररूप । सत् का विनाश होनेका निषेध असाधारण मंगल द्रव्यों,गुणों तथा पर्यायोंका प्रज्ञापन समय अर्थात आगमको प्रणाम करके भावका का नाश नहीं होता और उसका कथन करने सम्बन्धी अभाव का उत्पाद नहीं होता उसका श्रीमदकुन्दकुन्दाचार्य देवकी प्रतिज्ञा । २ । उदाहरण शब्दरूपसे, ज्ञानरूपसे और अर्थरूपसे | द्रव्य कथंचित व्यय और उत्पादयुक्त होने ऐसे तीन प्रकारका 'समय' शब्दका पर भी उसका सदैव अविनष्टपना अर्थ तथा लोक-अलोकरूप एवं अनुत्पन्नपना विभाग पाँच अस्तिकायोंकी विशेष संज्ञा, ध्रुवता के पक्षसे सत्का अविनाश और सामान्य -विशेष अस्तित्व तथा कायत्वका असत्का अनुत्पाद कथन पाँच अस्तिकायोंका अस्तित्व किस सिद्धको अत्यंत असत्-उत्पादका निषेध प्रकार से है और कायत्व किस प्रकारसे है। जीवको उत्पाद, व्यय. सत-विनाश एवं उसका कथन असत-उत्पादका कर्तापना होनेकी पाँच अस्तिकायोंको तथा कालको सिद्धिरूप उपसंहार द्रव्यपनेका का कथन छह द्रव्योंमेंसे पाँचको अस्तिकायपनेका छह द्रव्योंका परस्पर अत्यंत संकर स्थापन होनेपर भी वे अपने अपने निश्चित स्वरूपसे काल अस्तिकायरूपसे अनक्त होने पर। च्युत नहीं होते ऐसा कथन | भी उसका अर्थपना अस्तित्व का स्वरूप | निश्चयकालका स्वरूप सत्ता और द्रव्यका अर्थान्तरपना व्यवहारकालका कथंचित पराश्रितपना होनेका खण्डन व्यवहारकालके कथंचित पराश्रितपने | तीन प्रकारसे द्रव्यका लक्षण १० । सम्बन्धी सत्य युक्ति | २३ २६
SR No.008395
Book TitlePunchaastikaai Sangrah
Original Sutra AuthorKundkundacharya
Author
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year2008
Total Pages293
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size3 MB
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