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________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates कहानजैनशास्त्रमाला] षड्द्रव्य-पंचास्तिकायवर्णन एकेन प्रदेशेन व्यादिप्रदेशाभावादात्मादिनात्ममध्येनात्मांतेन न सावकाशः। एकेन प्रदेशेन स्कंधानां भेदनिमित्तत्वात् स्कंधानां भेत्ता। ऐकन प्रदेशेन स्कंधसंघातनिमित्तत्वात्स्कंधानां कर्ता एकेन प्रदेशेनैकाकाशप्रदेशातिवर्तितद्गतिपरिणामापन्नेन समयलक्षणकालविभागकरणात् कालस्य प्रविभक्ता। एकेन प्रदेशेन तत्सूत्रत्रितव्यादिभेदपूर्विकायाः स्कंधेषु द्रव्यसंख्यायाः एकेन प्रदेशेन तदवच्छिन्नैकाकाशप्रदेश आकाशप्रदेशका अतिक्रमण करनेवाले [-लाँघनेवाले] अपने गतिपरिणामको प्राप्त होता है उसके द्वारा –'समय' नामक कालका विभाग करता है इसलिये कालका विभाजक है; वह वास्तवमें एक प्रदेश द्वारा संख्याका भी विभाजक है क्योंकि [१] वह एक प्रदेश द्वारा उसके रचे जानेवाले दो आदि भेदोंसे लेकर [ तीन अणु, चार अणु, असंख्य अणु इत्यादि] द्रव्यसंख्याक विभाग स्कंधोंमें करता है, [२] वह एक प्रदेश द्वारा उसकी जितनी मर्यादावाले एक 'आकाशप्रदेश' से लेकर [ दो आकाशप्रदेश, तीन आकाशप्रदेश, असंख्य आकाशप्रदेश इत्यादि] क्षेत्रसंख्याक विभाग करता है, [३] वह एक प्रदेश द्वारा, एक आकाशप्रदेशका अतिक्रम करनेवाले उसके गतिपरिणाम जितनी मर्यादावाले 'समय' से लेकर [ दोसमय, तीन समय, असंख्य समय इत्यादि] कालसंख्याके विभाग करता है, और [४] वह एक प्रदेश द्वारा उसमें विवर्तन पानेवाले [-परिवर्तित, परिणमित] जघन्य वर्णादिभावको जाननेवाले ज्ञानसे लेकर भावसंख्याके विभाग करता है।। ८०।। १। विभाजक = विभाग करनेवाला; मापनेवाला। [स्कंधोंमें द्रव्यसंख्याका माप [अर्थात वे कितने अणुओं परमाणुओंसे बने हैं ऐसा माप] करनेमें अणुओंकी-परमाणुओंकी-अपेक्षा आती है, अर्थात् वैसा माप परमाणु द्वारा होता है। क्षेत्रका मापका एकक 'आकाशप्रदेश' है और आकाशप्रदेशकी व्याख्यामें परमाणुकी अपेक्षा आती है; इसलिये क्षेळका माप भी परमाणु द्वारा होता है। कालके माप एकक 'समय' है और समयकी व्याख्या में परमाणुकी अपेक्षा आती है; इसलिये कालका माप भी परमाणु द्वारा होता है। ज्ञानभावके [ज्ञानपर्यायके] मापका एकक ‘परमाणुमें परिणमित जघन्य वर्णादिभावको जाने उतना ज्ञान' है और उसमें परमाणुकी अपेक्षा आती है; इसलिये भावका [ ज्ञानभावका ] माप भी परमाणु द्वारा होता है। इस प्रकार परमाणु द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव माप करनेके लिये गज समान है] २। एक परमाणुप्रदेश जितने आकाशके भागको [क्षेत्रको] 'आकाशप्रदेश' कहा जात है। वह 'आकाशप्रदेश क्षेत्रका 'एकक' है। [ गिनतीके लिये, किसी वस्तुके जितने परिमाणको ‘एक माप' माना जाये, उतने परिमाणको उस वस्तुका ‘एकक' कहा जाता है।] ३। परमाणुको एक आकाशप्रदेशेसे दूसरे अनन्तर आकाशप्रदेशमें [ मंदगतिसे] जाते हुए जो काल लगता है उसे 'समय' कहा जाता है। Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com
SR No.008395
Book TitlePunchaastikaai Sangrah
Original Sutra AuthorKundkundacharya
Author
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year2008
Total Pages293
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size3 MB
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