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प्रस्तुत संस्करण की कीमत कम करने वाले दातारों की सूची १. श्री अशोककुमार जसराजजी जैन, बैंगलोर ।
११००.०० २. श्री भभूतमलजी चम्पालाल एवं रमेशचन्द भण्डारी परिवार, बैंगलोर ११००.०० ३. श्री अजितकुमारजी तोतूका, जयपुर ...
११००.०० ४. श्रीमती अचरजकुमारी निहालचन्दजी जैन, जयपुर
११००.०० ५. अहिंसा चेरिटेबल ट्रस्ट, मुम्बई हस्ते दिलीपभाई मेहता
११००.०० ५. श्री शान्तिनाथजी सोनाज, अकलूज
५०१.०० ६. श्रीमती श्रीकान्ताबाई ध.प. श्री पूनमचंदजी छाबड़ा, इन्दौर
५०१.०० ७. श्री सुरेशचन्द सुनीलकुमारजी जैन, बैंगलोर
५०१.०० ८. श्रीमती रश्मिदेवी वीरेशजी कासलीवाल, सूरत
५०१.०० ९. श्रीमती कुसुम जैन ध.प. श्री विमलकुमारजी जैन, 'नीरु केमिकल्स', दिल्ली ५०१.०० १०. श्री सुरेशकुमार भानूलालजी जैन, पिड़ावा
५०१.०० ११. श्री भागचन्दजी कालिका, उदयपुर
५०१.०० १२. श्री रतनमाला जैन, दिल्ली
५०१.०० १३. श्री फूलचन्दजी पाटनी, कोलकात्ता
५०१.०० १४. श्री मांगीलाल ललित संदीप जैन, अहमदाबाद
५०१.०० १५. श्री पन्नालाल अभयकुमार जैन, देवलगाँवराजा
५०१.०० १६. श्रीमती लालीदेवी जैन, इटावा
५०१.०० १७. श्री सुबोधप्रकाशजी जैन, मैनपुरी इटावा
५०१.०० १८. संजीव स्मृति कोष हस्ते एम.पी. जैन, जयपुर
५०१.०० १९. श्रीमती चन्दादेवी हजारीलाल ट्रस्ट, अलवर
५०१.०० २०. श्री प्रेमचन्दजी बाकलीवाल, जयपुर
५०१.०० २१. स्व. शकुन्तलादेवी जवाहरलालर्जी जैन, जयपुर
५०१.०० २२. श्री ताराचन्दजी सोगानी, जयपुर
५०१.०० २३. श्री मूलचन्दजी छाबड़ा, जयपुर
५०१.०० २४. श्री रतनचन्दजी शास्त्री, कोटा
५००,०० २५. श्रीमती सुमन जैन, इटावा
५००.०० २६. श्रीमती सुनीता जैन, इटावा
५००.०० २७. श्रीमती कमलाबाई रतनचन्दजी भारिल्ल, जयपुर
५००.०० २८. श्री शान्तिलालजी जैन अलवरवाले, जयपुर
५००.०० २९. श्री कैलाशचन्दजी सेठी, जयपुर
५००.०० ३०. श्री हुकमचन्दजी जैन, जयपुर
५००.०० ३१. स्व. बाबूलाल तोतारामजी जैन, भुसावल
२५१.०० ३२. श्रीमती पतासीदेवी इन्द्रचन्दजी पाटनी, लाँडनू
२५१.०० ३३. स्व. ऋषभकुमार पुत्र श्री सुरेशकुमारजी जैन, पिड़ावा
२५१.०० ३४. ब्र. कुसुमताई पाटील, कुम्भोज
२५१.०० ३५. श्रीमती अनिलाबेन विजयकुमार गांधी, नातेपुते
२०१.०० ३६. श्रीमती नीलू ध.प. राजेशकुमार मनोहलालजी काला, इन्दौर
२०१.०० ३७. श्रीमती पानादेवी मोहनलालजी सेठी, गोहाटी
२०१.०० ३८. स्व. श्रीमती धापूदेवी ध.प. स्व. श्री ताराचन्दजी गंगवाल की पुण्य स्मृति में, जयपुर २०१.०० कुल राशि
२०,३२७.००
निःसंदेह सम्पूर्ण बुन्देलखण्ड कभी दिगम्बर जैन संस्कृति और मूर्तिकला का केन्द्र रहा होगा; क्योंकि आज भी वहाँ के चप्पे-चप्पे में विशालकाय दिगम्बर जैन मूर्तियाँ खण्डित और अखंडित अवस्था में विद्यमान हैं, तथा उकेरी गई कला कृतियों से सुसज्जित खंडित-अखंडित जिन प्रतिमाओं एवं जिन मंदिरों के खंडित अवशेष मानो पुकार-पुकार कर कह रहे हैं कि “आतताइयों द्वारा हम पर घोर अत्याचार हुए हैं, हमें खण्डित और ध्वस्त किया गया है।"
प्रमाण के रूप में जमीन की जुताई और खुदाई के रूप में बहुत से अवशेष मिल चुके हैं और बहुत सी मूर्तियाँ और मन्दिर अभी भी भूगर्भ में दबे पड़े हैं, जो यदा-कदा मिलते रहते हैं।
इसी बुन्देलखण्ड में एक ललितपुर नगर है, जो दिगम्बर जैन समाज का गढ़ है। ललितपुर नगर के निकट वहाँ से लगभग बीस किलोमीटर दूर तथा जाखलोन ग्राम से तीन किलोमीटर की दूरी पर देवगढ़ नामक दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र है। जाखलोन ग्राम में भी कभी बहुसंख्य जैनों का निवास स्थान था। अभी भी देवगढ़ की विशालकाय, अनगिनत खण्डित और अखंडित पाषाण प्रतिमायें तथा वहाँ के जिनमंदिर अपना इतिहास कह रहे हैं तथा जिनदेवों के गढ़ के रूप में देवगढ़ नाम को सार्थक कर रहे हैं।
वर्तमान में क्षेत्र की छटा दर्शनीय है। कुशल कारीगरों, समर्पित कार्यकर्ताओं और अनुभवी व्यक्तियों के निर्देशन तथा संरक्षण में तीर्थ सुरक्षित तो हैं ही, विकासशील भी है। ___ देवगढ़ पहाड़ी प्रदेश पर स्थित सुरम्य, प्राकृतिक सम्पदा और सौन्दर्य से सम्पन्न, मानवीय कोलाहल से दूर एकदम शान्त और एकान्त साधुसंतों के ध्यान व अध्ययन के लिए उपयुक्त स्थान है।