________________
सूत्रपाहुड
बारहवें अंग का दूसरा भेद सूत्र नाम का है, इसमें मिथ्यादर्शन संबंधी तीन सौ तरेसठ कुवादों का पूर्वपक्ष लेकर उनको जीव पदार्थ पर लगाने आदि का वर्णन है, इसके पद अठ्यासी लाख हैं। बारहवें अंग का तीसरा भेद प्रथमानयोग है, इसमें प्रथम जीव के उपदेशयोग्य तीर्थंकर आदि तरेसठ शलाका पुरुषों का वर्णन है, इसके पद पाँच हजार हैं। बारहवें अंग का चौथा भेद पूर्वगत है, इसके चौदह भेद हैं, प्रथम उत्पाद नाम का है इसमें जीव आदि वस्तुओं के उत्पाद व्यय ध्रौव्य आदि अनेक धर्मों की अपेक्षा भेद वर्णन है, इसके पद एक करोड़ हैं। दूसरा अग्रायणी नाम का पूर्व है, इसमें सात सौ सुनय दुर्नय का और षद्रव्य, सप्ततत्त्व, नव पदार्थों का वर्णन है, इसके छिनवें लाख पद हैं।
तीसरा वीर्यानुवाद नाम का पूर्व है, इसमें छह द्रव्यों की शक्तिरूप वीर्य का वर्णन है, इसके पद सत्तर लाख हैं। चौथा अस्तिनास्तिप्रवाद नाम का पूर्व है, इसमें जीवादिक वस्तु का स्वरूप द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव की अपेक्षा अस्ति, पररूप द्रव्य क्षेत्र काल भाव की अपेक्षा नास्ति आदि अनेक धर्मों के विधि निषेध करके सप्तभंग के द्वारा कथंचित् विरोध मेटनेरूप मुख्य गौण करके वर्णन है, इसके पद साठ लाख हैं।
पाँचवाँ ज्ञानप्रवाद नाम का पूर्व है, इसमें ज्ञान के भेदों का स्वरूप, संख्या, विषय, फल आदि का वर्णन है, इसके पद एक कम करोड हैं। छठा सत्यप्रवाद नाम का पूर्व है, इसमें सत्य, असत्य आदि वचनों की अनेक प्रकार की प्रवृत्ति का वर्णन है, इसके पद एक करोड़ छह हैं। सातवाँ आत्मप्रवाद नाम का पूर्व है, इसमें आत्मा (जीव) पदार्थ के कर्ता, भोक्ता आदि अनेक धर्मों का निश्चय-व्यवहारनय की अपेक्षा वर्णन है, इसके पद छब्बीस करोड़ हैं।
आठवाँ कर्मप्रवाद नाम का पूर्व है, इसमें ज्ञानावरण आदि आठ कर्मों के बंध, सत्व, उदय, उदीरणा आदि का तथा क्रियारूप कर्मों का वर्णन है, इसके पद एक करोड़ अस्सी लाख हैं। नौवाँ प्रत्याख्यान नाम का पूर्व है, इसमें पाप के त्याग का अनेक प्रकार से वर्णन है, इसके पद चौरासी लाख हैं । दसवाँ विद्यानुवाद नाम का पूर्व है, इसमें सात सौ क्षुद्रविद्या और पाँचसौ महाविद्याओं के स्वरूप, साधन, मंत्रादिक और सिद्ध हुए इनके फल का वर्णन है तथा अष्टांग निमित्तज्ञान का वर्णन है, इसके पद एक करोड़ दस लाख हैं।
ग्यारहवाँ कल्याणवाद नाम का पूर्व है, इसमें तीर्थंकर चक्रवर्ती आदि के गर्भ आदि कल्याणक का उत्सव तथा उसके कारण षोडश भावनादि के तपश्चरणादिक तथा चन्द्रमा सूर्यादिक के गमन विशेष आदि का वर्णन है, इसके पद छब्बीस करोड़ हैं।
बारहवाँ प्राणवाद नाम का पूर्व है, इसमें आठ प्रकार वैद्यक तथा भूतादिक की व्याधि के दूर करने के मंत्रादिक तथा विष दूर करने के उपाय और स्वरोदय आदि का वर्णन है, इसके तेरह