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________________ २६४ अष्टपाहुड द्विदोषविप्रमुक्तः परमात्मानं ध्यायते योगी ॥४४।।। अर्थ – 'त्रिभिः' मन वचन काय से ‘त्रीन्' वर्षा, शीत, उष्ण तीन कालयोगों को धारण कर 'त्रिकरहितः' माया, मिथ्या, निदान तीन शल्यों से रहित होकर ‘त्रिकेण परिकरितः' दर्शन, ज्ञान, चारित्र से मंडित होकर और 'द्विदोषविप्रमक्तः'दो दोष अर्थात राग-द्वेष इनसे रहित होता हआ योगी ध्यानी मुनि है वह परमात्मा अर्थात् सर्वकर्म रहित शुद्ध परमात्मा उनका ध्यान करता है। भावार्थ - मन वचन काय से तीन काल योग धारण कर परमात्मा का ध्यान करे इसप्रकार कष्ट में दृढ़ रहे तब ज्ञात होता है कि इसके ध्यान की सिद्धि है, कष्ट आने पर चलायमान हो जाय तब ध्यान की सिद्धि कैसी ? चित्त में किसी भी प्रकार की शल्य रहने से चित्त एकाग्र नहीं होता है, तब ध्यान कैसे हो ? इसलिए शल्य रहित कहा, श्रद्धान, ज्ञान, आचरण यथार्थ न हो तब ध्यान कैसा? इसलिए दर्शन, ज्ञान, चारित्र मंडित कहा और राग-द्वेष-इष्ट-अनिष्ट बुद्धि रहे तब ध्यान कैसे हो? इस तरह परमात्मा का ध्यान करे यह तात्पर्य है ।।४४।। आगे कहते हैं कि जो इसप्रकार होता है वह उत्तम सुख को पाता है - मयमायकोहरहिओ लोहेण विवजिओय जो जीवो। णिम्मलसहावजुत्तो सो पावइ उत्तमं सोक्खं ।।४५।। मदमायाक्रोधरहित: लोभेन विवर्जितश्च य: जीवः। निर्मलस्वभावयुक्तः सः प्राप्नोति उत्तमं सौख्यम् ।।४५।। अर्थ – जो जीव मद, माया, क्रोध इनसे रहित हो और लोभ से विशेषरूप से रहित हो वह जीव निर्मल विशुद्ध स्वभावयुक्त होकर उत्तम सुख को प्राप्त करता है। भावार्थ - लोक में भी ऐसा है कि जो मद अर्थात् अति मानी और माया कपट और क्रोध इनसे रहित हो और लोभ से विशेष रहित हो, वह सुख पाता है, तीव्र कषायी अति आकुलतायुक्त होकर निरन्तर दुखी रहता है, अत: यही रीति मोक्षमार्ग में भी जानो, जो क्रोध, मान, माया, लोभ चार कषायों से रहित होता है, तब निर्मल भाव होते हैं और तब ही यथाख्यात चारित्र पाकर उत्तम जो जीव माया-मान-लालच-क्रोध को तज शुद्ध हो। निर्मल-स्वभाव धरे वही नर परमसुख को प्राप्त हो ।।४५।। जो रुद्र विषय-कषाय युत जिन भावना से रहित हैं। जिनलिंग से हैं परामख वे सिद्धसुख पावें नहीं ।।४६।।
SR No.008340
Book TitleAshtapahud
Original Sutra AuthorKundkundacharya
Author
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size888 KB
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