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________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates जीव अधिकार चउदहभेदा भणिदा तेरिच्छा सुरगणा चउब्भेदा । एदेसिं वित्थारं लोयविभागेसु णादव्वं ।। १७ ।। चतुर्दशभेदा भणितास्तिर्यञ्चः सुरगणाश्चतुर्भेदाः । एतेषां विस्तारो लोकविभागेषु ज्ञातव्यः ।। १७ ।। चतुर्गतिस्वरूपनिरूपणाख्यानमेतत्। मनोरपत्यानि मनुष्याः । ते द्विविधाः कर्मभूमिजा भोगभूमिजाश्चेति। तत्र कर्मभूमिजाश्च द्विविधाः, आर्या म्लेच्छाश्चेति। आर्याः पुण्यक्षेत्रवर्तिनः । म्लेच्छाः पापक्षेत्रवर्तिनः । भोगभूमिजाश्चार्यनामघेयधरा जघन्यमध्यमोत्तमक्षेत्रवर्तिनः एकद्वित्रि- पल्योपमायुषः। भेदान्नारकजीवाः रत्नशर्करावालुकापंकधूमतमोमहातमःप्रभाभिधानसप्तपृथ्वीनां सप्तधा भवन्ति। प्रथमनरकस्य नारका ह्येकसागरोपमायुषः। [ तिर्यञ्चः] तिर्यञ्जोंके [ चतुर्दशभेदाः ] चौदहभेद [ भणिताः ] कहे हैं; [ सुरगणाः ] देवसमूहोंके [ चतुर्भेदा: ] चार भेद हैं । [ एतेषां विस्तार: ] इनका विस्तार [ लोकविभागेषु ज्ञातव्यः ] लोकविभागमेंसे जान लेना । टीका:---यह, चार गतिके स्वरूपनिरूपणरूप कथन है। * मनुकी संतान वह मनुष्य हैं वे दो प्रकार के हैं: कर्मभूमिज और भोगभूमिज । उनमें कर्मभूमिज मनुष्य भी दो प्रकारके हैं: आर्य और म्लेच्छ । पुण्यक्षेत्रमें रहेनेवाले वे आर्य हैं और पापक्षेत्रमें रहेनेवाले वे म्लेच्छ हैं। भोगभूमिज मनुष्य आर्य नामको धारण करते हैं, जघन्य, मध्यम अथवा उत्तम क्षेत्रमें रहेनेवाले हैं और एक पल्योपम, दो पल्योपम अथवा तीन पल्योपमकी आयुवाले हैं। ३९ रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, वालुकाप्रभा, पंकप्रभा धूमप्रभा तमः प्रभा और महातमः प्रभा नामकी सात पृथ्वीके भेदोंके कारण नारक जीव सात प्रकारके हैं। पहले नरक के नारकी एक सागरोपमकी आयुवाले हैं, , * भोगभूमिके अंतमें और कर्मभूमिके आदिमें होनेवाले कुलकर मनुष्योंको आजीविकाके साधन सिखाकर लालित - पालित करते हैं इसलिये वे मनुष्योंके पिता समान हैं। कुलकरको मनु कहा जाता है। तिर्यञ्ज चौदह भेदवाले, देव चार प्रकारके । इन सर्वका विस्तार है, ज्ञातव्य लोकविभागसे ।। १७ ।। Please inform us of any errors on rajesh@Atma Dharma.com
SR No.008273
Book TitleNiyamsara
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorHimmatlal Jethalal Shah
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size2 MB
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