SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates जीव अधिकार पंचानामवकाशदान लक्षणमाकाशम्। पंचानां वर्तनाहेतुः कालः। चतुर्णाममूर्तानां शुद्धगुणाः, पर्यायाश्चैतेषां तथाविधाश्च । ( मालिनी ) इति जिनपतिमार्गाम्भोधिमध्यस्थरत्नं द्युतिपटलजटालं तद्धि षड्द्रव्यजातम् । हृदि सुनिशितबुद्धिर्भूषणार्थं विधत्ते स भवति परमश्रीकामिनीकामरूपः।। १६ ।। जीवो उवओगमओ उवओगो णाणदंसणो होइ । णाणुवओगो दुविहो सहावणाणं विहावणाणं ति ।। १० ।। जीव उपयोगमयः उपयोगो ज्ञानदर्शनं भवति । ज्ञानोपयोगो द्विविध: स्वभावज्ञानं विभावज्ञानमिति।। १० ।। २३ (शेष) पाँच द्रव्योंको अवकाशदान ( - अवकाश देना) जिसका लक्षण है वह आकाश है। ( शेष ) पाँच द्रव्योंको वर्तनाका निमित्त वह काल है। (जीवके अतिरिक्त) चार अमूर्त द्रव्योंके शुद्ध गुण हैं; उसकी पर्यायें भी वैसा ( शुद्ध ही ) है। ( अब, नवमी गाथाकी टीका पूर्ण करते हुए टीकाकार मुनिराज श्लोक द्वारा छह द्रव्यकी श्रद्धाके फलका वर्णन करते हैं : ) [ श्लोकार्थ:-] इसप्रकार उस षट्द्रव्यसमूहरूपी रत्नको --- जो कि ( रत्न ) तेजके अंबारके कारण किरणोंवाला है और जो जिनपतिके मार्गरूपी समुद्रके मध्यमें स्थित है उसे-जो तीक्ष्ण बुद्धिवाला पुरुष हृदयमें भूषणार्थ ( शोभाके लिये ) धारण करता है, वह पुरुष परमश्रीरूपी कामिनीका वल्लभ होता है ( अर्थात् जो पुरुष अंतरंगमें छह द्रव्यकी यथार्थ श्रद्धा करता है, वह मुक्तिलक्ष्मीका वरण करता है )। १६। गाथा १० अन्वयार्थः-[ जीवः] जीव [ उपयोगमयः ] उपयोगमय है। [ उपयोगः] उपयोग [ ज्ञानदर्शनं भवति ] ज्ञान और दर्शन है । [ ज्ञानोपयोगः द्विविधः ] ज्ञानोपयोग दो प्रकारका है [ स्वभावज्ञानं ] स्वभावज्ञान और [ विभावज्ञानम् इति ] विभावज्ञान। उपयोगमय है जीव, वह उपयोग दर्शन - ज्ञान है । ज्ञानोपयोग स्वभाव और विभाव द्विविध विधान है ।। १० ।। Please inform us of any errors on rajesh@Atma Dharma.com
SR No.008273
Book TitleNiyamsara
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorHimmatlal Jethalal Shah
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages400
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy